भोपाल। एमपी की मोहन सरकार कर्ज के दलदल में धसती जा रही है। लोकसभा चुनाव से पहले जनता से किए वादों को पूरा करना, यादव सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनता दिख रहा है। यही कारण कि यादव सरकार को एक बार फिर कर्ज लेना पड़ा गया। ये ऋण 1500-1500 करोड़ के रूप में सरकार ने 16 और 17 सालों की अवधि के लिए लिया है. सूत्रों के मानें तो इस वित्त वर्ष के खत्म होने के पहले सरकार 31 मार्च तक अभी बाजार से 8 हजार करोड़ तक का कर्ज उठाने की तैयारी में है।
शिवराज सरकार ने लिया इतना कर्ज
शिवराज सरकार ने भी बड़ी संख्या में ऋण लिया। 2023 में शिवराज सरकार में लिए गए कर्ज की बात करें तो 25 जनवरी 2023 को सरकार ने 2000 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया। जिसके बाद 2 फरवरी को 3000 करोड़, जिसके बाद 2023 के फरवरी महीने की 9 तारीख को फिर 3000 हजार करोड़ का कर्ज लिया। साथ ही साथ इस महीने 16 और 23 फरवरी को 3-3 हजार करोड़ का ऋण शिवराज सरकार ने लिया। 2 मार्च 2023 को दोबारा सरकार ने 3000 करोड़ का कर्ज लिया। फिर 9 मार्च दो हजार करोड़, 17 मार्च को चार हजार करोड़, 24 मार्च को फिर 1000 करोड़ का कर्ज, इसके बाद 29 मई 2023 को 2000 करोड़, 14 जून को फिर 4000 करोड़ का कर्ज, 12 सितंबर को 1000 करोड़, 27 दिसंबर को 2000 करोड़ का कर्ज शिवराज सरकार में लिया गया।
कर्ज में डूब रही यादव सरकार!
2023 विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद फिर भाजपा पार्टी सत्ता में आई और मोहन सरकार को सीएम बनाए गए जिसके 1 महीने के अंदर में ही सरकार ने 23 जनवरी 2024 को 2500 करोड़ का फिर RBI से कर्ज लिया। इसके 15 दिन बाद यादव सरकार ने फिर 7 फरवरी 2024 को 3000 करोड़ रुपए का ऋण ले लिया। इस तरह देखा जाए तो नई सरकार गठित होने के बाद सरकार ने 15 दिन के अंदर में ही 5500 करोड़ का कर्ज लिया। अब तक के सरकार के कुल कर्ज की बात करें तो करीब साढ़े 3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में सरकार डूबी हुई है और हर महीने लाड़ली बहना योजना के तहत सरकार 1200 से 1300 करोड़ रुपए खर्च कर रही है.
यहां जानें सरकार ने कब-कब लिया ऋण
25 जनवरी 2023- दो हजार करोड़
02 फरवरी 2023- तीन हजार करोड़
09 फरवरी 2023- तीन हजार करोड़
16 फरवरी 2023- तीन हजार करोड़
23 फरवरी 2023- तीन हजार करोड़
02 मार्च 2023- 3000 करोड़
09 मार्च 2023- 2000 करोड़
17 मार्च 2023- 4000 करोड़
24 मार्च 2023- 1000 करोड़
29 मई 2023- 2000 करोड़
14 जून 2023- 4 हजार करोड़
12 सितंबर 2023-1 हजार करोड़
27 दिसंबर 2023 – दो हजार करोड़
23 जनवरी 2024- 2500 करोड़
7 फरवरी 2024 – 3000 करोड़
अब देखना होगा कि सरकार और कितने ऋण में डूबती है, क्योंकि कर्ज का भार सरकार पर जिनता रहेगा. उतना ही पैसा सरकार जनता से किसी ना किसी तरीके से वसूलेगी. उदाहरण के लिए डीजल- पेट्रोल पर वेट -सेस और टोल टैक्स में बढ़ोतरी कर सरकार जनता से ही पैसों को वसूलती है।