Friday, October 25, 2024

MP News: भंडारे में जूठे पत्तल उठवाने से नाराज हुआ जाटव समाज, 40 परिवारों ने बदला धर्म

भोपाल। करैरा के ग्राम बहगवां में 40 जाटव समाज के लोगों ने हिन्दू धर्म का त्याग करते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया। बौद्ध धर्म अपनाने वालों ने उनके साथ छुआछूत का आरोप लगाया है। वहीं, गांव के सरपंच का कहना है कि सभी आरोप निराधार हैं। ग्रामीणों को बहलाफुसला कर उनसे बौद्ध धर्म स्वीकार करवाया गया है।

भागवत कथा का हुआ था आयोजन

जानकारी के मुताबिक ग्राम बहगवां में पूरे गांव के लोगों ने एक साथ मिलकर भागवत कथा का आयोजन करवाया था। गांव में 25 साल बाद सम्मिलित रूप से हुई भागवत कथा के लिए सभी समाज के लोगों ने चंदा एकत्रित किया। इसी क्रम में एक साथ पूरा आयोजन किया गया। इस दौरान भागवत कथा के भंडारे से एक दिन पहले जाटव समाज के 40 घरों ने अचानक से बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और हिंदू धर्म का परित्याग करने की शपथ ली। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है।

बौद्ध धर्म गुरु ने उनको शपथ दिलाई

महेंद्र बौद्ध का कहना है कि भंडारे में सभी समाजों को काम बांटे गए थे। इसी क्रम में जाटव समाज को जूठी पत्तल उठाने और पत्तल परसने का काम सौंपा गया, लेकिन बाद में किसी व्यक्ति ने यह कह दिया कि अगर जाटव समाज के लोग पत्तल परसेंगे तो पत्तल तो वैसे ही खराब हो जाएगी। ऐसे में इनसे सिर्फ झूठी पत्तल उठवाने का काम करवाया जाए। वहीं अंत में गांव वालों ने कह दिया कि अगर आपको झूठी पत्तल उठाना है तो उठाओ नहीं तो खाना खाकर अपने घर जाओ। बकौल महेंद्र बौद्ध ने बताया है कि इसी छुआछूत के चलते हम लोगों ने समाज को बौद्ध धर्म अपनाने को कहा और सभी लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया है।

गांव के सरपंच ने आरोपों को बताया निराधार

इस मामले में गांव के सरपंच गजेंद्र रावत का कहना है कि जाटव समाज के आरोप पूरी तरह निराधार हैं। उनके अनुसार उक्त समाज के लोगों ने एक दिन पूर्व ही अपने हाथ से केले का प्रसाद बांटा था जो पूरे गांव ने लिया और खाया भी। उनके अनुसार गांव में बौद्ध भिक्षु आए थे, उन्होंने समाज के लोगों को बहलाफुसला कर धर्म परिवर्तन करवाया है। पूरे गांव में किसी भी तरह का काम किसी समाज विशेष को नहीं बांटा गया था। सभी ने मिलजुलकर सारे काम किए हैं। अन्य हरिजन समाज के लोगों ने भी परसाई करवाई, झूठी पत्तल उठाई हैं। उन लोगों के साथ छुआछूत क्यों नहीं की गई। गजेंद्र के अनुसार जाटव समाज ने जो चंदा दिया था उसको वापस ले लिया। गांव वालों ने उसकी पूर्ति के लिए दोबारा से चंदा भी किया है। गांव के सरपंच गजेंद्र रावत का कहना है कि जाटव समाज के आरोप निराधार हैं। पूरे मामले में शिवपुरी कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी का कहना है कि यह मामला हमारे संज्ञान में नहीं आया है। मैं पता करवाता हूं कि आखिर इतने परिवारों ने एक साथ धर्म परिवर्तन क्यों किया। इस मामले की गहराई से पड़ताल करना जरूरी है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति सिर्फ एक दिन में धर्म परिवर्तन कर ले, यह संभव नहीं है। जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी।

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