भोपाल। भले ही आज देश ने कितनी भी तरक्की कर ली हो, देश का विज्ञान आज सूरज और चांद तक पहुंच गया हो, लेकिन आज भी कुछ गांव ऐसे हैं जो अंधविश्वास को विज्ञान से भी ऊपर मानते हैं। ऐसा ही कुछ है एमपी के बैतूल जिले के चिचोली ब्लॉक के मलाजपुर गांव में। यहां भूतों का मेला हर साल लगता है। इस साल के मेले की शुरुआत गुरुवार को पूर्णिमा के मौके पर हो चुकी है।
झाड़ू मारकर और बाल खींचकर किया जाता है इलाज
यहां पिछले 400 सालों से मलाजपुर के गुरु साहब बाबा के मेले में मानसिक बीमारों का इलाज झाड़ू मारकर और बाल खींच कर होता है। बताया जाता है कि इस मेले का आयोजन पिछले 500 साल से भी ज्यादा समय से हो रहा है। इस स्थान पर मेले के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और इसके अलावा प्रेत बाधा से पीड़ित, निसंतान दंपती और सर्पदंश से पीड़ित मरीज भी इस स्थान पर आते हैं।
मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए समाधि की परिक्रमा करने के बाद, व्यक्ति समाधि के सामने पहुंचते तभी उसके शरीर में हलचल होने लगती हैं। यहां बैठे पुजारी महिलाएं मरीजों के बालों को खींचकर पूछती हैं कि कौन सी बाधा है और उसके बाद गुरु साहब की जयकारा लगाती हैं। कई लोगों को तो झाड़ू भी मारी जाती हैं। इसके बाद उन्हें भभूत और चरणामृत दिया जाता है। मरीजों के परिजनों को लगता है कि उनका मरीज ठीक हो गया है, इसलिए यहां के लोगों का विश्वास और बढ़ता जा रहा है।
गुरु साहब बाबा की महिमा मानते हैं लोग
मानसिक बीमारियों से पीड़ित मरीज के इस तरह से इलाज को लेकर जानकार मानते हैं कि यह अंधविश्वास नहीं है, बल्कि गुरु साहब बाबा की महिमा है। जिसे आराम मिलता है, उसे पूरा विश्वास हो जाता है। वहीं दूसरी ओर, चिकित्सा विज्ञान इसे पूरी तरह से अंधविश्वास मानती है। पीड़ितों के परिजनों का कहना है कि वे अपने मरीज का इलाज कई डॉक्टरों से करवा चुके हैं, लेकिन उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ। जब उन्हें पता चला कि मलाजपुर में ऐसे मरीजों का इलाज किया जाता है, तो वहां लेकर आते हैं। यहां के पुजारी बाबू सिंह यादव बताते हैं कि यहां पर भूत-प्रेत से पीड़ित लोग ठीक हो जाते हैं। सर्पदंश से पीड़ित भी सही हो जाते हैं। समाधि स्थल का इतिहास 500 वर्ष का है।
एक महीने तक चलेगा मेला
जानकारी के मुताबिक, एमपी के बैतूल के मलाजपुर में गुरु साहब बाबा का मेला 400 वर्षों से लग रहा है। मंत्री नारायण सिंह पंवार ने मेले का उद्घाटन कर दिया है। मेला 1 महीने तक चलेगा। इस स्थान पर मेले के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए जाते हैं। कहते है परिक्रमा लगाने के बाद समाधि के सामने पहुंचते ही उनके शरीर में हलचल होने लगती है।