भोपल : 23 मई को सिविल सर्विस परीक्षा 2022 के नतीजों की घोषणा के बाद एक ही एक ही पर दो लोगो के रैंक को लेकर उठे विवाद पर संघ लोक सेवा आयोग ने प्रेस नोट जारी कर अपना रुख साफ किया है। एक ही रैंक के दो दावेदारों में से कौन असली उम्मीदरवार है ये भी स्पष्ट कर दिया है। साथ ही फर्जी दस्तावेज के आधार पर दावेदारी रखने वाले वालों दो लोगो के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने की बात भी की है।
जानिए पूरा मामला
23 मई को संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विस परीक्षा 2022 की परिणाम की घोषणा की। परिणाम के घोषणा के बाद एक बड़ा ही दिलचस्प मामला सामने आया। दरअसल मध्य प्रदेश के देवास की रहने वाली आयशा फातिमा और अलीराजपुर के रहने वाली आयशा मकरानी, दोनों ने सिविल सर्विस परीक्षा 2022 में पास होने का दावा किया। अपने दावे को सिद्ध करने के लिए दोनों ने अपने एडमिट कार्ड दिखाए । हैरानी की बात ये रही की एक ही रोल नंबर पर दो लड़कियों ने परीक्षा दी, इंटरव्यू दिया और अब दोनों को 184वीं रैंक आई है। आयशा के अलावा एक और एक जैसे नाम का मामला हरियाणा से भी देखने को मिला जिसमे रेवाड़ी जिले के बृजमोहन के पुत्र तुषार ने दावा किया कि उनका भी सिविल सर्विसेज में चयन हुआ है और उन्होंने 44वीं रैंक हासिल किया है।
UPSC ने जारी किया प्रेस नोट
इस पूरे मामले पर UPSC ने एक प्रेस नोट जारी असली कैंडिडेट की जानकारी दी है। प्रेस नोट के अनुसार देवास की रहने वाली आयशा फातिमा ही असली उम्मीदवार है. जबकि अलीराजपुर की रहने वाली आयशा मकरानी का यूपीएससी की परीक्षा में 184वीं रैंक लाने का दावा गलत और झूठा है । दरसअल सलीमुद्दीन मकरानी की बेटी आयशा मकरानी ने अपने पक्ष में दस्तावेजों से जालसाजी की है। आयशा मकरानी का वास्तविक रोल नंबर 7805064 है। उन्होंने 5 जून, 2022 को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में भाग लिया और सामान्य अध्ययन पेपर-एक में केवल 22.22 अंक और सामान्य अध्ययन पेपर-दो में 21.09 अंक प्राप्त किए। वह न केवल पेपर-दो में क्वालीफाई करने में विफल रही है, बल्कि पेपर-एक के कट-ऑफ मार्क्स से भी कम अंक प्राप्त किए हैं। कट-ऑफ मार्क्स वर्ष 2022 की प्रारंभिक परीक्षा के लिए अनारक्षित वर्ग के लिए 88.22 अंक थे। आयशा मकरानी प्रारंभिक परीक्षा के चरण में ही विफल हो गई और परीक्षा के अगले चरण में आगे नहीं बैठी। यूपीएससी ने स्पष्ट किया कि , रोल नंबर 7811744 वाले नजीरुद्दीन की बेटी आयशा फातिमा ही वास्तविक उम्मीदवार हैं, जिन्होंने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के अंतिम परिणाम में 184वां रैंक हासिल किया है। वहीं हरियाणा के रेवाड़ी के बृजमोहन के पुत्र तुषार के मामले में, सच्चाई ये है कि उन्होंने सिविल सेवा (प्रीलिम्स) परीक्षा, 2022 के लिए आवेदन किया था और इस परीक्षा के लिए उसे रोल नंबर 2208860 आवंटित किया गया था। वह प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हुआ और उसने सामान्य अध्ययन के पेपर-एक में माइनस 22.89 अंक और सामान्य अध्ययन के पेपर-2 में 44.73 अंक हासिल किए। इस तरह तुषार भी प्रारंभिक परीक्षा के चरण में ही विफल हो गया। लेकिन बिहार के निवासी अश्विनी कुमार सिंह के पुत्र तुषार कुमार, जिनका रोल नंबर 1521306 है, वास्तविक उम्मीदवार हैं, जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में 44 वां रैंक हासिल किया है।’
UPSC कर सकता है कार्रवाई
UPSC ने आगे कहा कि दोनों ने केंद्र सरकार (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) की ओर से अधिसूचित सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। उनके खिलाफ उनके धोखाधड़ी के कृत्यों के लिए आपराधिक और अनुशासनात्मक दंडात्मक कार्रवाई पर विचार कर रहा है।