भोपाल। 7 साल पहले 1 मई 2017 को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने VIP कल्चर को खत्म करने की दिशा में बड़ा निर्णय लिया था। देशभर में मंत्रियों और VIP लोगों के वाहनों से लाल-पीली बत्ती हटा दी गई थी। और इसका अधिकार सीमित कर दिया गया था। जिसके हिसाब से सिर्फ आपात सेवा में लगे पुलिस अधिकारियों को ड्यूटी के दौरान वाहनों पर रंगीन बत्ती लगाने का अधिकार है। लेकिन अब एमपी के वन विभाग के अधिकारियों ने इसे लेकर प्रशासन को एक प्रस्ताव दिया है।
वन अधिकारी चाहते है लाल बत्ती
बता दें, कि मध्य प्रदेश के वन अधिकारियों ने भी अपने वाहनों में बत्ती लगाने के लिए इच्छा जताई है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि रंगीन बत्ती लगाने के अधिकार वन विभाग के डीएफओ से लेकर रेंजर स्तर के अधिकारियों को भी दिए जाएं। यह प्रस्ताव वन मुख्यालय ने राज्य शासन को भेजा है। गृह एवं परिवहन विभाग की स्वीकृति के बाद वन विभाग के लिए भी यह व्यवस्था लागू हो सकती है। इसके बाद वन विभाग के अंतर्गत संरक्षित एवं वन्यप्राणी वाले वनमंडलों में डीएफओ से लेकर रेंजर तक वाहनों पर बहुरंगी बत्ती लगा सकेंगे।
मांग के पीछे का कारण
केंद्र सरकार का प्रावधान है कि आग जैसी आपदाओं को रोकने वाली सरकारी एजेंसियों के अधिकारी अपने वाहन पर बहुरंगी बत्ती लगा सकते हैं। एमपी के वन मुख्यालय ने इसी को आधार बनाकर यह प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा है। जंगलों में आग लगने, अतिक्रमण होने या वन्यप्राणियों का शिकार करने के लिए शिकारियों और वन क्षेत्र की लकड़ियों को काटने वालों का जमावाड़ा होने पर वन अमला प्रभावी कार्रवाई करने जाए तो अपने वाहनों पर बहुरंगी बत्ती जलाकर इसका भय पैदा कर सकेगा।
इन इलाकों में होती है आग की घटनाएं
बालाघाट, बैतूल, छिंदवाड़ा, मंडला, रायसेन, सागर, दमोह, देवास, नर्मदापुरम, बुरहानपुर सहित 22 ऐसे शहर चिन्हित किए गए हैं, जहां जंगल में आग लगने की घटनाएं अधिक होती हैं। रंगीन बत्ती का उपयोग इन अपराधों को रोकने में एक प्रभावी उपकरण हो सकता है, लेकिन यह एकमात्र समाधान नहीं हो सकता है। वन विभाग को इन अपराधों से निपटने के लिए अपनी क्षमताओं को मजबूत करने पर भी ध्यान देना चाहिए। हालांकि, इस प्रस्ताव को लेकर कुछ चिंताएं भी जताई गई हैं। कुछ लोगों का तर्क है कि यह VIP संस्कृति को वापस लाएगा और वन अधिकारियों को अनावश्यक अधिकार देगा। रंगीन बत्ती का दुरुपयोग किया जा सकता है और इससे भ्रष्टाचार बढ़ सकता है। यह निश्चित रूप से एक जटिल मुद्दा है। यह महत्वपूर्ण है कि सभी पहलुओं पर विचार किया जाए और निर्णय लेने से पहले सभी हितधारकों से परामर्श किया जाए। यदि यह प्रस्ताव पारित किया जाता है तो सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि रंगीन बत्ती का दुरुपयोग न हो और वन अधिकारियों को सख्ती से इसके लिए जवाबदेह रखा जाए।