Monday, September 30, 2024

एमपी में सरकारी स्कूल देगें प्राइवेट स्कूलों को टक्कर, प्री नर्सरी में बच्चों को एडमिशन देने की तैयारी

भोपाल। अक्सर देखने में आता है कि सरकारी स्कूल, प्राइवेट स्कूलों की तुलना में पीछे जाते हैं। इसलिए अधिकांश परिजन अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं। इसी बात से सबक लेते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। अब एमपी के सरकारी स्कूल जल्द ही प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देते हुए नजर आएंगे।

नर्सरी की क्लासेस भी चलेगी

दरअसल, अब सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से पहले भी बच्चों को शिक्षा प्रदान की जाएगी। इसके लिए सरकार ने नया खाका तैयार किया है। सरकारी स्कूलों में नर्सरी की कक्षाएं भी शुरू की जायेंगी। सरकार के प्लान के मुताबिक तीन से चार वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए सरकारी स्कूलों में नर्सरी की कक्षाएं शुरू की जायेंगी। यहां पर तीन से चार वर्ष के बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा।

इन जिलों में चलेगा पायलेट प्रोजेक्ट

सबसे पहले इसे प्रायोगिक तौर पर प्रदेश के पांच जिले छिंदवाड़ा, भोपाल, सीहोर, सागर और शहडोल में शुरू किया जाएगा। इन जिलों के 1415 स्कूलों में प्री नर्सरी कक्षाओं को संचालित किया जाना है। नए प्लान के मुताबिक इन स्कूलों में प्री प्राइमरी के तहत नर्सरी में भी प्रवेश दिए जाएंगे।

नर्सरी से मिलता है एडमिशन

आपको बता दें कि अभी कुछ स्कूलों में के KG1 और KG 2 क्लास में ही एडमिशन होते हैं। इन कक्षाओं में एडमिशन के लिए उम्र 4 से 5 और 5 से 6 वर्ष रखी गई है। प्रयोग के तौर पर चयनित स्कूलों में प्री प्राइमरी की कक्षाएं 15 जून से शुरू की जाएगी। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। चयनित जिलों के कलेक्टरों को विभाग द्वारा दिशा निर्देश जारी किए जा चुके हैं।

ये है एजुकेशन डिपार्टमेंट का प्लान

स्कूल शिक्षा विभाग का प्लान है कि सरकारी स्कूलों से अधिक से अधिक बच्चों को जोड़ा जाए। ऐसे में नर्सरी के बच्चों को स्कूल लाया जाएगा तो वह आगे की कक्षा में भी सरकारी स्कूलों में ही पढ़ेंगे। नर्सरी में पढ़ने वाले बच्चे अक्षर ज्ञान हासिल करेंगे। पहली कक्षा तक आते-आते हुए दो-तीन अक्षर वाले शब्द लिखने और पहचान भी लगेंगे। ऐसे में बच्चों को आगे की शिक्षा की राह आसान होगी, शिक्षा का स्तर भी सुधरेगा।

स्कूल में बनेगा प्ले एरिया

स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार नर्सरी की कक्षा स्कूल के उस हिस्से में लगाई जाएगी, जहां छोटे बच्चों को खेलने के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध हो। स्कूल में अलग कमरों की व्यवस्था भी की जाएगी। बच्चों को पढ़ने के लिए विशेष रुचि वाले शिक्षकों को काम सौंपा जाएगा। बच्चों संबंधी एक्टिविटी में रुचि रखने वाले शिक्षकों को ही नर्सरी की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

बच्चों को स्कूल लाने की इनकी होगी जिम्मेदारी

स्कूल में बच्चों को लाने का काम भी संबंधित स्कूल के प्रमुख यानी प्राचार्य का होगा। इस काम में अलग-अलग शिक्षक लगाए जाएंगे। यह शिक्षक यह पता करेंगे कि उनके क्षेत्र में ऐसे कितने बच्चे हैं जो नर्सरी, केजी 1 और केजी 2 में एडमिशन की पात्रता रखते हैं। उनके परिजनों को शिक्षकों को द्वारा बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

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