भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजे जारी होने में महज कुछ ही दिन बाकी हैं। 3 दिसंबर को साफ हो जाएगा कि MPकी जनता की पसंद कौन है और किसे मध्य प्रदेश की सत्ता की चाबी हासिल होगी। एमपी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कई दिग्गज नेताओं की साख दांव पर है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही चुनावी मैदान में नहीं हैं, लेकिन फिर भी उनकी भी साख दांव पर लगी हुई है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की गुडविल दांव पर
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कई समर्थक मंत्री एमपी के चुनावी रण में हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कई करीबियों की सीटों पर पेंच फंस गया है। 2020 के विधानसभा चुनावों में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का प्रचार- प्रसार संभाला था। 2020 के चुनावों में ग्वालियर-चंबल इलाके में कांग्रेस को जबरदस्त फायदा मिला था, जिसका क्रेडिट सिंधिया को दिया जाता है। क्योकि सिंधिया कदावर नेता माने जाते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख दांव पर लेकिन सिंधिया समर्थक मंत्रियों की सीटों ने बीजेपी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की चिंता बढ़ा दी है।
इन मंत्रियों ने बढ़ाई टेंशन
ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक कई मंत्री एमपी के चुनावी रण में हैं।सुरेश राठखेड़ा पोहरी से चुनाव लड़ रहे हैं। जहां पर उन्हें विरोध झेलना पड़ रहा है। जानकारों की मानें तो सुरेश राठखेड़ा की सीट ने सिंधिया की चिंता बढ़ा दी है। पंचायत मंत्री महेंद्र बमौरी से प्रत्याशी हैं। यहां पर कांटे की टक्कर मानी जा रहा है। सिंधिया के सबसे बड़े समर्थकों में शामिल इमरती देवी की इमेज भी दांव पर लगी है। पूर्व मंत्री इमरती देवी डबरा से उम्मीदवार हैं।उनका मुकाबला उनके समधी सुरेश राजे से माना जा रहा है। 2018 के उपचुनाव में उन्हें हार देखनी पड़ी था. जिसके कारण उनकी राह मुश्किल मानी जा रही है। इंदौर के सांवेर सीट से सिंधिया समर्थक मंत्री सिलावट की सीट पर भी कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कई करीबी नेताओं की सीटों पर पेंच फंस गया है। सिंधिया ने अपने समर्थकों के लिए जोरों-शोरों से प्रचार- प्रसार किया था। चुनावों के दौरान वे काफी अलग नजर आते है और पूरे एक्शन मोड में रहते हैं। माना जा रहा है कि इन मंत्रियों की जीत-हार का असर सिंधिया की इमेज पर भी पड़ेगा।