भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने शुक्रवार को पुलिस द्वारा एक युवक के विरूद्ध एनडीपीएस के एक झूठे मामले में जेल भेजने को लेकर कड़ी कार्रवाई की. साथ ही डीजीपी से पीड़ित को दस लाख रुपये देने और जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने के आदेश जारी कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि पुलिस द्वारा इस मामले में आरोपी से खतरनाक नशीला ड्रग एमडीएमए जब्त करने का दावा किया गया था, जबकि एफएसएल की जांच में पाया गया कि वह तो यूरिया है।
6 सितम्बर 2022 को पकड़ा गया था एक आरोपी
ग्वालियर के मुरार थाना पुलिस द्वारा 6 सितम्बर 2022 को एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया था. साथ जी दावा किया गया था कि उसके कब्जे से 760 ग्राम एमडीएमए पकड़ी गई है। एमडीएम अभी सबसे महंगा ड्रग उत्पाद है और इसका इस्तेमाल सेलिब्रिटी द्वारा पूल पार्टियों में होता है। दावा किया गया था कि ग्वालियर के रेस्ट्रोरेंट और फार्म हाउस पर होने वाली पूल पार्टियों में खपाने के लिए यह लाया गया था. पुलिस की यह कार्रवाई मीडिया में भी खूब चर्चा में आई थी।
वकील सुनील गोश्वामी ने क्या कहा?
आरोपी रोहित तिवारी के वकील सुनील गोश्वामी ने कहा कि हाईकोर्ट ने जांच रिपोर्ट में पाया कि जब्त किए गए पदार्थ यूरिया से आरोपी पर एनडीपीएस का मामला नहीं बनता इसलिए यह एफआईआर गलत है, जिसे निरस्त किया जाए। साथ ही कोर्ट ने माना कि रोहित तिवारी को नौ माह तक कस्टडी में रखकर उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन किया गया, जिसके लिए डीजीपी उन्हें कंपनसेशन के रूप में 10 लाख रुपये दें। साथ ही इस मामले से जुड़े और जांच अधिकारियों के लिए निर्देश दिए हैं, कि इस तरह के गलतियां भविष्य में दर्ज न हो इसके लिए यह सुनिश्चित करें और दोषी लोगों पर कार्रवाई की जाए।