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MP Politics: हारी हुई सीटों को जीतने के लिए कांग्रेस की बन रही रणनीति, दिग्विजय का बुधवार से विंध्य क्षेत्र का दौरा

भोपाल। इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस इस बार उन सीटों पर विशेष तौर पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिन पर पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह इन सीटों का दौरा करके यहां पार्टी […]

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हारी हुई सीटों को जीतने के लिए कांग्रेस की बन रही रणनीति
  • May 11, 2023 3:09 am IST, Updated 2 years ago

भोपाल। इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस इस बार उन सीटों पर विशेष तौर पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिन पर पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह इन सीटों का दौरा करके यहां पार्टी के लिए संभावनाएं देख रहे हैं। इसी कड़ी में वे बुधवार से विंध्य क्षेत्र के दौरे पर हैं।

कांग्रेस 70 सीटों पर लंबे समय से असफल

बता दें कि मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 70 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस को लंबे समय से सफलता नहीं मिल रही है। इन पर पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2023 पर ध्यान केंद्रित किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ सबसे पहले इन्हीं सीटों का दौरा कर रहे हैं इसलिए उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को यहां कार्यकर्ताओं के साथ बात करके संभावनाएं देखने की जिम्मेदारी दी है।

पूर्व सीएम दिग्विजय का भाजपा पर आरोप

वहीं दिग्विजय सिंह ने बुधवार को रीवा में मीडिया से चर्चा में कहा कि भाजपा तीन गुटों में बंटी है। शिवराज भाजपा, महाराज भाजपा और नाराज भाजपा। साथ ही उन्होंने भाजपा सरकार पर लोगों के डाटा चोरी व फोन टैप करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री झूठों के सरदार हैं, जिनसे अब जनता डरी हुई हैं।

2018 के चुनाव में कांग्रेस का विंध्य क्षेत्र में था खराब प्रदर्शन

आपको बता दें कि दिग्विजय सिंह ग्वालियर, चंबल, बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र का एक बार दौरा कर चुके हैं। अब फिर वे रीवा जिले में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का विंध्य क्षेत्र में प्रदर्शन ठीक नहीं रहा था। इसलिए 30 विधानसभा क्षेत्रों में 23 पर भाजपा जीती थी। बता दें कि इस साल के विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश की जनता को बेसब्री इंतजार है कि मुख्यमंत्री किस पार्टी का होगा। वैसे भी इसका निर्णय तो खुद जनता को ही करना है कि राज्य में दोबारा भाजपा सरकार को तबज्जो दिया जाएगा या चुनाव से पहले कमलनाथ द्वारा किए गए वादों पर यकीन करके कांग्रेस को जीताया जाएगा।


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