भोपाल। एमपी चुनाव कमलनाथ और कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी विपत्ती साबित हुई है। अब वो कारण निकलकर सामने आ रहे हैं, जिनकी वजह से कमलनाथ का उनके पूरे राजनीतिक जीवन में सबसे बुरा हाल हुआ है। राजनीतिक पंडित जहां एक तरफ लाड़ली बहना योजना को बीजेपी की बंपर जीत का कारण बता रहे हैं […]
भोपाल। एमपी चुनाव कमलनाथ और कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी विपत्ती साबित हुई है। अब वो कारण निकलकर सामने आ रहे हैं, जिनकी वजह से कमलनाथ का उनके पूरे राजनीतिक जीवन में सबसे बुरा हाल हुआ है। राजनीतिक पंडित जहां एक तरफ लाड़ली बहना योजना को बीजेपी की बंपर जीत का कारण बता रहे हैं तो दूसरी तरफ वे ये भी मान रहे हैं कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ से कुछ ऐसी बड़ी गलतियां भी हुई हैं, जिनको वक्त रहते न तो वे देख सके और न ही उसे दूर कर सके।
बता दें, कांग्रेस एमपी में सिर्फ 66 सीटों पर सिमटकर रह गई और भारतीय जनता पार्टी ने बंपर जीत दर्ज की। रणनीतिकारो की माने तो कई ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से कमलनाथ और कांग्रेस को मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में अब तक की सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। जिसमें सबसे बड़ा कारण है कांग्रेस का अति आत्मविश्वास में आ जाना और सब कुछ मध्यप्रदेश की जनता के भरोसे छोड़ देना कि वो खुद ही कांग्रेस को जिता देगी। कांग्रेस के प्रमुख रणनीतिकार दिग्विजय सिंह और कमलनाथ मार्च महीने में ही अति आत्मविश्वास में आ गए थे कि बीजेपी की हालत मध्यप्रदेश में बहुत खराब है. Rss के सर्वे को अधार मानकर इन्होंने सोच लिया कि बीजेपी मध्यप्रदेश में अब तक के सबसे बुरे दौर में है और ये ही वो समय है, जब कांग्रेस वापसी कर सकती है. लेकिन ऐसा सोचना कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की भूल थी.
कांग्रेस जहां एक तरफ पूरे देश में विपक्षी पार्टियों को एकजुट करके विपक्षी गठबंधन यानि इंडिया गठबंधन बनाने की कोशिश कर रही थी और हर दल को भरोसा दे रही थी कि वे सभी एक साथ बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे लेकिन 3 बार की बातचीत के बाद भी तय नहीं हो सका कि ये गठबंधन लोकसभा चुनाव तक सीमित रहेगा या राज्यों के चुनाव में भी काम करेगा। जब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने एमपी के लिए कांग्रेस से गठबंधन करना चाहा तो कांग्रेस ने उनकी प्रस्ताव पर तव्वजो ही नहीं दी न ही उन्हें एमपी में सीट दी।
कमलनाथ की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि जब अखिलेश यादव मध्यप्रदेश में गठबंधन की भूमि तलाश रहे थे तो कमलनाथ ने अखिलेश-वखिलेश जैसा बयान देकर दूसरी पार्टियों को कमतर बताने की कोशिश की और इंडिया गठबंधन में न सिर्फ एमपी बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक बड़ी गांठ पैदा कर दी पूरे चुनाव का प्रचार कांग्रेस से कहीं अधिक बीजेपी के नेताओं ने रैलियां और चुनावी सभाएं की खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 150 से अधिक रैलियां और जनसभाएं कीं। पीएम नरेंद्र मोदी तक ने 1 दर्जन रैली और जनसभाएं मध्यप्रदेश में की और इसकी तुलना में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने बहुत कम रैली व जनसभाएं कीं। गौरतलब है बीजेपी ने 160 से ज्यादा सीट जीतकर सत्ता मे फिर से वापसी की है।