Sunday, November 3, 2024

शिवराज सिंह को मिला कृषि विभाग, मध्य प्रदेश की ही तरह उत्पादकता में नवाचार व संरक्षण की अपेक्षा

नरेंन्द्र मोदी की लगातार तीसरी सरकार बनी इस कार्य काल मे शिवराज सिंह चौहान को कृषि एवं ग्रामीण विकास की जिम्मेदारी दी गई है। इन दोनों क्षेत्रों का अपने नए मंत्री से अन्योनाश्रय संबंध है। ऐसा इसलिए कि प्रदेश के कृषि क्षेत्र में जितना विकास शिवराज सरकार में हुआ है, उतना किसी अन्य सरकार में नहीं। अब देशभर के किसानों को शिवराज से एमपी की तरह ही कृषि क्षेत्र के विस्तार, उत्पादकता में नवाचार एवं संरक्षण की अपेक्षा होगी।

शिवराज के सामने बड़ा चैलेंज

शिवराज के सामने भी कृषि में विविधता लाकर किसानों की स्थिति में सुधार के लिए मध्य प्रदेश मॉडल को लागू करने की बड़ी चुनौती शाबित होगी. मध्य प्रदेश की राजनीति में रहते हुए उन्होंने बड़ा चमत्कार एमएसपी पर गेहूं खरीद में किया है। कांग्रेस सरकार में मध्य प्रदेश में गेहूं की अधिकतम खरीद 50,000 टन से शायद ही ज्यादा हो पाती थी, किंतु चालू वित्त वर्ष में यह बढ़कर लगभग 48 लाख टन हो गई है। यह पंजाब एवं हरियाणा के बाद किसी अन्य प्रदेश की तुलना में सबसे ज्यादा खरीद है।

उत्पादकता में दर्ज की गई तेज वृद्धि

शिवराज सरकार की दूरदर्शिता का ही परिणाम है कि वर्ष 2013-14 से अगले एक दशक के दौरान मध्य प्रदेश में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि 6.1 फीसदी पर पहुंच गई है, जबकि इस दौरान राष्ट्रीय औसत वृद्धि मात्र 3.9 प्रतिशत है। यह प्रगति कई क्षेत्रों में व्यापक सुधार के चलते हुई। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2004-05 और 2021-22 के बीच मध्य प्रदेश की कुल कृषि भूमि 149.75 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 158.23 लाख हेक्टेयर हुआ है, जो मात्र 5.7 प्रतिशत है। किंतु इस दौरान उत्पादकता में तेज वृद्धि देखी गई।

शिवराज सरकार की अन्य बड़ी उपलब्धि सिंचाई क्षेत्र का विस्तार है। बड़ी संख्या में किसानों को ट्यूबवेल एवं बिजली कनेक्शन दिए गए। वर्ष 2010-11 में मात्र 13 लाख किसानों के पास कनेक्शन थे, जो अगले दस वर्षों में बढ़कर 32.5 लाख हो गए। नहरों का जाल बिछाया, जिससे सिंचित क्षेत्र का रकबा करीब दोगुना हो गया है।

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