भोपाल। प्रदेश में रेत माफियाओं का आतंक तांडव कर रहा है। प्रदेश भर में रेत माफिया धड़ल्ले से सरकारी कर्मचारियों को निशाने में ले रहे है। बीते दिनों ASI की हत्या के बाद एक बार फिर शासन और प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं. बता दें कि एमपी में यह पहली बार नहीं हुआ है कि किसी सरकारी कर्मचारी की रेत माफियाओं ने हत्या की हो. इससे पहले भी रेत माफिया ऐसी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं. शहडोल में शनिवार को ड्यूटी पर तैनात ASI की हत्या इनमें से एक है.
वारदातों के बाद खानापूर्ति में जुटता है प्रशासन
बता दें कि प्रदेश में बीते कई सालों से रेत माफियाओं द्वारा यह खूनी खेल खेला जा रहा है. वारदात के बाद कुछ दिनों तक शासन और प्रशासन इन माफियाओं के खिलाफ छोटा-मोटा एक्शन लिया जाता है। इसके साथ ही नेतागण तमाम तरह के दावे और बयानबाजी करते हैं, लेकिन इसके बाद फिर रेत माफिया एक्टिव हो जाते हैं और बड़ी वारतादों को अंजाम देते हैं. शासन और प्रशासन के के इस रवैये के बाद अब कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.
इन सब पर हुआ हमला
बता दें कि 5 मई की रात को एएसआई की टैक्टर से कुचलकर हत्या की गई
नवंबर 2023 में पटवारी की ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या
2018 में संजय गांधी टाइगर रिजर्व की टीम पर हमला
2023 में सेना के जवान द्वारा अवैध खनन का विरोध करने पर हुआ हमला
वहीं अप्रैल 2022 में संजय गांधी टाइगर रिजर्व के कैंप पर पेट्रोल बम से हमला
जून 2022 में टाइगर रिजर्व के कैंप पर फिर से आग लगाई
अक्टूबर 2023 को रेत माफियाओं द्वारा कर्मचारियों पर पथराव
रेत माफियाओं से हाहाकार
प्रदेश के कई स्थानों में रेत माफियाओं के आतंक से प्रभावित हैं. इन स्थानो में सोन नदी से सटे रीवा, शहडोल, सीधी और सिंगरौली शामिल हैं. वहीं नर्मदा नदी के तट पर बसे जबलपुर, होशंगाबाद, बैतूल, खरगोन, खंडवा समेत कई शहरों में अवैध रेत उत्खनन का काम धड़ल्ले से चल रहा है. इन क्षेत्रों के अलावा एमपी का उत्तरी क्षेत्र (ग्वालियर-चंबल क्षेत्र) भी अवैध रेत उत्खनन से प्रभावित है. यहां चंबल नदी से भारी मात्रा में रेत का अवैध परिवहन किया जाता है.
ग्वालियर में ट्रेनी IPS का मोबाइल किया ट्रैक
हाल ही में, पिछले महीने ग्वालियर में रेत और पत्थर माफियाओं ने ट्रेनी IPS अधिकारी का फोन ट्रैक किया था. माफियाओं की इस कृत्य से पुलिस महकमे में खलबली मच गई थी. दरअसल, ग्वालियर में पदस्थ ट्रेनी आईपीएस लगातार खनन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही थीं. जिसके बाद इन खनन माफियाओं ने उनका फोन ट्रैक किया और अफसर की लगातार LOCATION का पता लगाया जा रहा था.