भोपाल। निजी स्कूलों में फीस की मनमानी सहित एक निश्चित दुकान से कापी-किताब की बिक्री को लेकर निजी स्कूलों के द्वारा अक्सर दबाव बनाया जाता है। इस मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने संज्ञान लिया है। उन्होंने निर्देश दिए कि निजी स्कूलों द्वारा अगर अभिभावकों पर किताबें, गणवेश और अन्य शिक्षण सामग्री किसी निर्धारित दुकान से खरीदने के लिए दबाव डाला गया तो उक्त स्कूल पर कार्रवाई करें।
सीएम यादव बोले-
सीएम यादव ने कहा- मेरे संज्ञान में आया है कि कुछ निजी स्कूलों द्वारा पालकों को कोर्स की पुस्तकें, यूनिफार्म और अन्य शिक्षण सामग्री किसी निर्धारित दुकान से खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है, जो कि उचित नहीं है। मैंने इस सम्बन्ध में कार्रवाई करने के लिए मुख्य सचिव को निर्देश दिये हैं। स्कूल शिक्षा इस निर्देश के बाद मप्र स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टरों को इस संबंध में पत्र जारी कर दिया है। इसमें निर्देशित किया गया है कि एमपी निजी विद्यालय फीस अधिनियम-2020 के तहत मनमानी करने वाले निजी स्कूलों पर कार्रवाई की जाए। इस अधिनियम के तहत स्कूल संचालक पर 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। पत्र में निर्देशित किया गया है कि विभिन्न माध्यमों के जरिए शासन के संज्ञान में आया है कि निजी स्कूलों द्वारा NCRT के साथ-साथ निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें भी चलाई जा रही हैं। अभिभावकों पर महंगी किताबें खरीदने का दबाव डाला जा रहा है। वहीं पाठ्यपुस्तकों सहित गणवेश और अन्य शिक्षण सामग्री विशेष दुकान से खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
स्कूल के खिलाफ होगी कार्रवाई
अधिनियम में स्पष्ट उल्लेख है कि निजी स्कूल अभिभावकों को एक विशेष दुकान से कापी-किताब और शिक्षण सामग्री खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं। अभिभावक खुले बाजार से कापी-किताबें खरीदने के लिए स्वतंत्र होंगे। अगर इस संबंध में शिकायतें मिलती हैं तो फीस अधिनियम-2020 के नियम नौ में वर्णित प्रक्रिया का पालन करते हुए संबंधित स्कूल के आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।