भोपाल: हरदा फैक्ट्री हादसे में 12 लोगों की मौत हो चुकी है और चार श्रमिकों के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। खरगोन से दो परिवारों के लोग हरदा पहुंचे हैं उनका कहना है कि उनके परिजन फैक्ट्री में काम करते है, लेकिन हादसे के बाद से उनकी कोई खबर नहीं है।
एक कमरे में सिर्फ 4 कर्मचारी की अनुमति
पटाखे बनाने के जिस लाइसेंस पर आरोपी अग्रवाल काम करवा रहा था उसके अनुसार एक कमरे में सिर्फ चार ही कर्मचारी काम कर सकते हैं। लेकिन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए वो एक कमरे में 25 लोगो से काम लेता था। बता दें पटाखे बनाने के हर स्टेज के लिए एक अलग कमरा होना अनिवार्य है लेकिन हरदा( Harda) वाले फैक्ट्री में एक कमरे में महिलाएं व बच्चें से बारूद में सुतली लपेटने, बत्ती लगाने का काम कराता था । पटाखा फैक्ट्री में हादसा हमेशा केमिकल कक्ष में होता है, इसलिए इस कक्ष में माउंट वाॅल(ऊंची दीवार) बनाना अनिर्वाय होता है। साथ हीं केमिकल कक्ष के पास गोदाम नहीं हो सकता, लेकिन अग्रवाल के कारखाने में सब एक जगह ही काम हो रहा था।
खरगोन से पहुंचे परिजन
हरदा फैक्ट्री हादसे मेें 12 लोगों की मौत हो चुकी है और चार श्रमिक लापता है। खरगोन से दो परिवारों के लोग अपनों की जानकारी के लिए हरदा पहुंचे हैं।
उनका कहना है कि उनके परिजन फैक्ट्री में काम करते है, लेकिन हादसे के बाद से उनकी कोई खबर नहीं है। उनके मोबाइल भी बंद आ रहे है। अफसरों ने उन्हें समझाकर वापस खरगोन लौटा दिया। उन्हें कहा गया है कि जैसे ही जानकारी मिलेगी, उन्हें खबर कर दी जाएगी।
नियमों की उड़ाई गई धज्जियां
बता दें, पटाखा फैक्ट्री लगाने के लिए सरकार ने नियम बनाए गए हैं। जो फैक्ट्री लगाने वालों के लिए अनिवार्य होते हैं। लेकिन हरदा के फैक्ट्री में इन सभी नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं हैं। जैसे की पटाखा फैक्ट्री के एक हजार मीटर दूर बसाहट होना चाहिए,लेकिन अग्रवाल की फैक्ट्री के 150 मीटर के दायरे में मकान बने हुए थे। फैक्ट्री की निर्माण यूनिट तल मंजिल पर होना चाहिए, लेकिन तीन मंजिला बिल्डिंग मेें पटाखे बन रहे थे। फैक्ट्री के आसपास चारों तरफ दमकलों के गुजरने के लिए पर्याप्त स्पेस होना चाहिए, लेकिन विस्फोट के बाद दमकले सिर्फ एक तरफ ही सड़क से जा पाई थी।