भोपाल। एमपी के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की लहर चली और उस लहर ने कांग्रेस को पूरी तरह से एमपी मे साफ कर दिया। बीजेपी के कई नेताओं को इसका फायदा मिला तो कईयों को बुरी तरह हार मिली कुछ ऐसे भी नेता रहे जो शिवराज सरकार में और पीएम मोदी की कैबिनेट में लंबे समय से मंत्री रहे लेकिन जनता ने बीजेपी की प्रचंड लहर में भी उनको स्वीकार नहीं किया और इन मंत्रियों के जीवन की सबसे बड़ी हार जनता ने इनको दे दी है।
शिवराज सरकार के मत्रियों को मिली हार
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, हरदा से कमल पटेल, बड़वानी से प्रेम सिंह पटेल, बमोरी से महेंद्र सिंह सिसौदिया, अटेर से अरविंद सिंह भदौरिय, बदनावर से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, ग्वालियर ग्रामीण से भारत सिंह कुशवाह, बालाघाट से गौरीशंकर बिसेन, अमरपाटन से रामखेलावन पटेल, पारसवाड़ा से राम किशारे नानो कांवरे खरगापुर से राहुल सिंह लोधी और पोहरी से सुरेश धाकड़। इसके साथ सतना से सांसद गणेश सिंह भी कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाह से 4000 से ज्यादा वोटों से ये चुनाव हार गए और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को भी निराशा हाथ लगी निवास सीट पर फग्गन सिंह कुलस्ते को कांग्रेस प्रत्याशी चैन सिंह वरकड़े ने लगभग 10000 वोटों से ये चुनाव हरा दिया है।
किस कारण मिली हार
कमल पटेल– कमल पटेल शिवराज सरकार के कृषि मंत्री थे। उन पर जमीनों पर कब्जा करने, भू- माफियाओं को संरक्षण देने, पावर का गलत इस्तेमाल करने जैसे आरोप कांग्रेस पार्टी द्वारा लगाए गए। उनके बेटे का सोशल मीडिया पर लोगों को धमकी देने का वायरल मैसेज भी लोगों को ठीक नहीं लगा, जिसके बाद बेटे पर एफआईआर भी हुई। इसके चलते कमल पटेल को हार मिली।
नरोत्तम मिश्रा– नरोत्तम मिश्रा दतिया में लंबे समय से चुनाव में विजय दर्ज कर रहे थे। डबरा सीट छोड़कर साल 2008 से दतिया सीट पर चुनाव लड़ना शुरू किया था लेकिन जीत दर्ज कराते रहे लेकिन उनकें प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र भारती ने इस बार नरोत्तम को चुनाव में हरा दिया नरोत्तम का लगातार विवादों में रहना, हर घटना को धार्मिक रंग देना, स्थानीय विकास कार्यों को लेकर लोगों की नाराजगी को दूर ना कर पाना, दतिया में सहज उपलब्ध न होने पाना कई ऐसी कराण रहे जो उनकी हार की वजह बने हैं।
अरविंद भदौरिया– भिंड की चर्चित अटेर सीट पर लंबे समय से अरविंद भदौरिया की अदावत कटारे परिवार से चली आ रही थी। पहले स्व. सत्यदेव कटारे जो कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता थे और नेता प्रतिपक्ष भी थे, उनके सामने चुनावी अदावत चलती रही और अब उनके पुत्र हेमंत कटारे से उनका राजनीतिक द्वंद चल रहा है। चुनाव को लेकर अटेर में बहुत कुछ ऐसा हुआ जिसे उचित नही कहा जा सकता। यहां जातिगत समीकरणों ने भी अरविंद भदौरिया के खिलाफ माहौल बना दिया था, जिसके चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
महेंद्र सिंह सिसोदिया– सिंधिया गुट के कट्टर समर्थक मंत्री महेंद्र सिंह सिसादिया से बमोरी विधानसभा क्षेत्र के लोग विकास कार्यों के न होने से नाराज थे। महेंद्र सिंह सिसोदिया दावा करते थे कि उन्होंने क्षेत्र में बीच हजार करोड़ रुपए के काम कराए थे लेकिन जब चुनावी दौरे पर उनकी पत्नी लोगों के बीच पहुंची तो नाराज लोगों ने उनकी पत्नी को बैठने तक नहीं दिया और धूल और कीचड़ से सनी सड़क पर पैदल चलने को मजबूर किया और पूछा कि कहां हुआ है बीस हजार करोड़ रुपए का विकास कार्यइस भारी विरोध के कारण ही महेंद्र सिंह सिसोदिया को बड़ी हार मिली है। वहीं एक अन्य कारण उनका लगातार स्थानीय सांसद डॉ. KP यादव से विवादों में होना. दोनों के बीच राजनीतिक अदावत लंबे समय से है।