Wednesday, January 8, 2025

MP: जहरीले कचरे पर SC का सुनवाई से इनकार, कार्रवाई करने के लिए डेढ़ माह का समय मिला

भोपाल: सालों पुरानी घटना ‘भोपाल गैस त्रासदी’ के बचे हुए जहरीले कचरे की ढ़ेर को हटाने के विरोध में लोगों का प्रदर्शन जारी है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने पर रोक लगाने की मांग वाले मामले की सुनवाई से इनकार कर दिया. हालांकि, कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि आप चाहें तो इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं.

हाई कोर्ट ने दिया था आदेश

दरअसल, एमपी हाई कोर्ट ने 3 दिसंबर को आदेश दिया था कि भोपाल से कचरा चार सप्ताह के भीतर निपटान स्थल (पीथमपुर) पहुंचाया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छूट दी कि वह चाहें तो हाई कोर्ट की सुनवाई में अपनी बात रख सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर भोपाल से धार जिले के पीथमपुर तक कूड़ा ले जाने और वहां जलाने पर रोक लगाने की मांग की गई है.

लोगों से सलाह नहीं ली गई

बता दें कि याचिका में कहा गया है कि यूनियन कार्बाइड का कचरा भोपाल से ले जाने का फैसला लेते समय पीथमपुर के लोगों से सलाह नहीं ली गई. इसके अलावा पीथमपुरा में रेडिएशन का भी खतरा हो सकता है. यदि वहां ऐसा होता है तो पीथमपुरा में उचित चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

कार्रवाई करने के लिए 6 सप्ताह का समय

इधर, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मोहन सरकार को यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के कचरे के निपटान पर सुरक्षा दिशानिर्देशों के अनुसार कार्रवाई करने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया है। 12 सीलबंद कंटेनरों में पैक किए गए कचरे को 2 जनवरी को राज्य की राजधानी भोपाल में बंद यूनियन कार्बाइड कारखाने से 250 किमी दूर धार जिले के पीथमपुर में निपटान स्थल पर ले जाया गया था। एमपी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एसके कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने राज्य सरकार को पीथमपुर के लोगों को विश्वास में लेने और कचरे को नष्ट करने से पहले उनके मन से डर दूर करने का अनुरोध करने के बाद समय दिया।

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