लखनऊ। प्रदेश के बिजली कर्मचारियों को निजीकरण के विरोध में कई राज्य से लोगों को समर्थन मिल रहा है। पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र के बिजली अभियंता संघों ने प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। पत्र लिखकर निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल वापस लेने की मांग की है।
1 साल तक काम करना पड़ेगा
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के मुताबिक पावर कॉरपोरेशन का प्रश्नोत्तर अपने आप में कर्मचारियों की छंटनी का डॉक्यूमेंट पेश करता है। इस दस्तावेज में साफ तौर पर लिखा गया है कि 51 फीसदी हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की होगी। जिसका मतलब है कि विद्युत वितरण निगमों का सीधा निजीकरण किया जा रहा है। यह भी लिखा गया है कि बेचे जाने वाले पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के कर्मचारियों को निजीकरण के बाद एक साल तक निजी कंपनी में काम करना पड़ेगा।
बैठक कर कार्यक्रमों का ऐलान
यह इलेक्ट्रीसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 133 का खुला उल्लंघन है, क्योंकि ऊर्जा निगमों के कर्मचारी सरकारी निगमों के कर्मचारी हैं। उन्हें किसी भी परिस्थिति में जबरिया निजी कंपनी में काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। एनसीसीओईईई ने यह भी फैसला लिया है कि यूपी में निजीकरण के विरोध में चल रहे संघर्ष को धार देने के लिए आने वाले 11 नवम्बर को एनसीसीओईईई के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी बैठक कर संघर्ष कार्यक्रमों का ऐलान करेंगे।