भोपाल। शाजापुर जिला अंतर्गत शुजालपुर सिविल अस्पताल में 3 महिला चिकित्सक होने के बावजूद दुष्कर्म पीड़िता मेडिकल परीक्षण करवाने के लिए 12 घंटे तक भटकती रही। रात 2 बजे के बाद जिला मुख्यालय पर उसका मेडिकल किया गया।
पुलिस अधिकारियों द्वारा मामला संज्ञान में लाने के बाद CMHO डा. अजय साल्विया ने अस्पताल प्रभारी से जवाब मांगा, तो इससे नाराज शुजालपुर सिविल अस्पताल के वर्ग एक के सात चिकित्सकों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। इनमें डा. विपिन जैन, डॉ रामसलोने मिश्रा, डा. रविंद्र गुप्ता, डॉ. सपना पाटीदार, डॉ. प्रेमलता कछोरिया, डॉ. भूपेंद्र परमार व डॉक्टर प्रवीण द्विवेदी शामिल हैं। सीएमएचओ ने पीड़िता के मामले में शुजालपुर अस्पताल प्रभारी को नोटिस जारी करके पूछा कि पीड़िता का परीक्षण न कर उसे जिला मुख्यालय पर रैफर करके उसके प्रति असंवेदनशील व्यवहार क्यो किया गया? मामले के बाद सिविल अस्पताल शुजालपुर के सभी वर्ग एक या दो श्रेणी के चिकित्सा अधिकारियों की आकस्मिक चिकित्सा ड्यूटी लगाने के निर्देश दिए गए हैं।
चिकित्सकों ने दिया इस्तीफा
नोटिस में वर्ग एक या दो के चिकित्सा अधिकारियों की आकस्मिक चिकित्सा ड्यूटी लगाने के भी निर्देश लिखे थे। इमरजेंसी ड्यूटी लगने से नाराज क्लास एक के सात चिकित्सकों ने सामूहिक इस्तीफा अफसरो को भेज दिया। इस्तीफा में उल्लेख किया गया कि चिकित्सालय में आपातकालीन चिकित्सा ड्यूटी पदस्थ चिकित्सा अधिकारियों की लगाई जानी होती है। कमी होने पर प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पदस्थ चिकित्सा अधिकारियों की ड्यूटी लगाई जाना चाहिए।
इनका कहना है
सिविल अस्पताल शुजालपुर में तीन महिला चिकित्सक होने के बावजूद दुष्कर्म पीड़िता मेडिकल परीक्षण के लिए 12 घंटे तक भटकती रही। किन परिस्थितियों में पीड़िता को रैफर किया, इस बारे में अस्पताल प्रभारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। नोटिस समझने में गलती हो गई। सभी चिकित्सकों को समझाया गया है कि आगे से ऐसी पुनरावृत्ति न होने पाए।-डॉ अजय साल्विया, सीएमएचओ, शाजापुर
यह था मामला
दुष्कर्म पीड़िता को चिकित्सीय परीक्षण के लिए 24 मई को दोपहर करीब 2 बजे शुजालपुर मंडी स्थित सिविल अस्पताल में लाया गया था, लेकिन यहां चिकित्सा परीक्षण नहीं किया गया। हैरत यह कि शुजालपुर सिविल अस्पताल में 3 महिला चिकित्सक होने के बावजूद पीड़िता को अकोदिया और पोलायकलां के लिए रैफर कर दिया गया। शुजालपुर एसडीओपी पिंटू बघेल के अनुसार, पीड़िता के साथ महिला पुलिसकर्मी भी रात दो बजे मेडिकल परीक्षण होने के बाद तक परेशान होती रहीं।