भोपाल। जैसे-जैसे फाइनेंशियल ईयर समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। बजट 2024 को लेकर लोगों की उम्मीदें भी बढ़ती जा रही हैं। देशवासी, कारोबारी और पॉलिसी मेकर्स आगामी वर्ष के लिए सरकार के वित्तीय रोडमैप का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। बता दें, इस बार 1 फरवरी को पेश किया जाने वाला बजट पूर्ण बजट नहीं होगा, क्योंकि अप्रैल-मई माह में loksbha के चुनाव होने हैं। जिसके बाद नई सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी। इसलिए 1 फरवरी को लेखानुदान (Vote on account budget) पेश किया जाएगा। आइए जानते है लेखानुदान और अंतरिम बजट क्या होता है।
लेखानुदान बजट
लेखानुदान अनिवार्य रूप से वार्षिक बजट के एक खास हिस्से के लिए संसद द्वारा दिया गया अग्रिम अनुदान होता है। इससे सरकार को सीमित अवधि के लिए अपनी जरूरतों को पूरा करती है। सामान्य तौर पर फाइनेंशियल ईयर के दो महीने पहले, जब तक कि पूर्ण बजट पेश और स्वीकृत नहीं हो जाता। लेखानुदान का मकसद सरकार की निरंतरता सुनिश्चित करना और सार्वजनिक खर्च में रुकावट से बचना है। खासकर उस समय के लिए जब आगामी (फाइनेंशियल ईयर) वित्तीय वर्ष के लिए बजट को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
बजट 2024 और लेखानुदान
लेखानुदान शासन के पहियों को सही तरीके से चालू रखने के लिए एक सिस्टम के रूप में कार्य करता है. व्यापक बजट पेश करने से पहले, सरकार वेतन, पेंशन और चल रही परियोजनाओं जैसे आवश्यक खर्चों को कवर करने के लिए आवश्यक धनराशि के लिए संसदीय मंजूरी मांगती है। यह अंतरिम प्रावधान सरकार को वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और तत्काल दायित्वों को पूरा करने की अनुमति देता है।
अंतरिम बजट Vs लेखानुदान की बारीकियां
लेखानुदान और अंतरिम बजट शब्द अक्सर एक दूसरे के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन बजटीय प्रॉसेस में उनकी अलग-अलग भूमिकाएं होती हैं. अंतरिम बजट एक व्यापक वित्तीय विवरण है जो सरकार द्वारा अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में प्रस्तुत करती है. यह नई सरकार के कार्यभार संभालने तक पूरे वित्तीय वर्ष यानि फाईनेंशियल ईयर को कवर करता है। इसके विपरीत, लेखानुदान एक छोटा, केंद्रित विनियोग है जो एक संक्षिप्त अवधि के लिए मांगा जाता है, आमतौर पर वित्तीय वर्ष यानि फाइनेंशियल ईयर के पहले दो महीने, जब तक कि नियमित बजट स्वीकृत नहीं हो जाता तब पेश किया जाता है। अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट दोनों का मकसद ट्रांजीशन पीरियड में वित्तीय स्थिरता बनाए रखना है, मुख्य अंतर उनके दायरे में है. अंतरिम बजट में पूरे वित्तीय वर्ष यानि फाइनेंशियल ईयर के लिए सरकार की वित्तीय योजनाओं के बारे में होता है, जबकि लेखानुदान पूर्ण बजट को अंतिम रूप दिए जाने तक तत्काल वित्तीय जरूरतों को संबोधित करता है।
बजट 2024 का महत्व
उभरते ग्लोबल और घरेलू आर्थिक परिदृश्यों की पृष्ठभूमि में बजट 2024 अत्यधिक महत्व रखता है। सरकार की राजकोषीय नीतियां मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और चल रही महामारी के परिणाम जैसी चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. लेखानुदान, इस प्रॉसेस के एक अभिन्न अंग के रूप में, यह सुनिश्चित करता है कि आवश्यक सेवाएं निरंतर जारी रहें। गौरतलब है कि देश को बजट 2024 का इंतजार है, वोट ऑन अकाउंट की बारीकियों को समझना जरूरी हो जाता है. यह अनंतिम उपाय, अंतरिम बजट से अलग, सरकारी कार्यों में व्यवधानों से सुरक्षा प्रदान करता है. लेखानुदान एक व्यावहारिक समाधान के रूप में कार्य करता है, जो सरकार को सार्वजनिक कल्याण के प्रति अपने कमिटमेंट को बरकरार रखते हुए फिस्कल प्लानिंग की दिक्कतों से निपटने की अनुमति देता है।
लेखानुदान होगा पेश
इस सत्र में 7 से 10 बैठकें होने का अनुमान है। वहीं, इस सत्र में बजट नहीं बल्कि लेखानुदान पेश किय जाएगा। दरअसल, आगामी लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता प्रभावी होने के वजह से सरकार बजट सत्र के दौरान वोट एंड अकाउंट यानी लेखानुदान (Accounts Payable ) पेश करेगी। इसमें जून 2024 तक के व्यय के लिए आवश्यक प्रावधान किया जाएगा। इसके बाद मानसून सत्र में पूर्ण बजट पेश किया जा सकता है।