भोपाल। आदमपुर खंती में नगर निगम के लोग प्रतिदिन 30 से भी ज्यादा मवेशियों के शव फेंककर चले जाते हैं। इनमें सबसे अधिक गोवंश होता है। कचरे में फेंके गए मवेशियों के शवों के सड़ने से गंदी बदबू आती है, जो बिलकुल भी सहन नहीं की जा सकती है. जब हवा का रुख बदलता है तो आसपास के पांच गाव में रहने वाले छह हजार से ज्यादा लोगों का खाना-पीना मुश्किल हो जाता है।
आदमपुर खंती में पड़े हैं 400 मवेशियों के कंकाल
खंती से दक्षिण दिशा में जंगल और पहाड़ हैं। पूरब में पड़रिया, पश्चिम में कोलुआ, आदमपुर और उत्तर में अर्जुन नगर हैं। जब हवा का रुख दक्षिण की ओर होता है तो सब ठीक है। लेकिन जब हवा का रुख दक्षिण से बदला और जिस दिशा का हुआ, तो उस दिशा में पड़ने वाले गांव में दुर्गंध फैल जाती है। खंती में 50 मवेशियों के शव और 400 मवेशियों के कंकाल ऐसे ही पड़े हुए हैं।
मवेशियों का कैसे होता है निष्पादन
मृत मवेशियों के शवों का निष्पादन करने के लिए प्रक्रिया तय है, इसके तहत शव को 5 फीट गहरा गड्ढा खोदकर उसमें मवेशी के शव को नमक की लहर के बीच रखकर मिट्टी से ढंका जाना चाहिए। इससे शव गल जाता है।दुर्गंध भी नहीं आती। लेकिन, इस प्रकार से शवों का दफन करना ना सिर्फ महंगा पड़ता है बल्कि समय और संसाधन भी लगते हैं। यही वजह है कि निगम खंती के पीछे वाले हिस्से में इन शवों को फेंक देता है।
एनीमल इंसीनरेटर से होगा फायदा
निगम ने खंती में करीब एक एकड़ क्षेत्र में प्रदेश का पहला एनीमल इंसीनरेटर बनाया है। करीब 5 करोड़ की लागत से तैयार हुए इस इंसीनरेटर का काम पिछले साल शुरू हुआ था। जो अब पूरा हो गया है। इसके आइसोलेशन का काम भी लगभग पूरा हो गया है। निगम अधिकारियों की मानें तो सोमवार से इसे शुरू कर दिया जाएगा। तब मवेशियों के शव को जलाकर इनका निष्पादन किया जाएगा।