भोपाल। ऐसा कहा जाता है कि भारत में हर त्यौहार की शुरुआत मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित बाबा महाकाल के मंदिर से होती है. हिन्दू धर्म में अब वो चाहे होली और दिवाली ही क्यों न हो। फिलहाल 6 फरवरी को बाबा के मंदिर में होलिका दहन किया गया और 7 मार्च को होली खेली गई. खास बात तो यह रही कि महाकाल को हर्बल गुलाल अर्पित किया गया. हर साल की तरह रंग पंचमी पर बाबा हर्बल गुलाल से ही रंगे हुए दिखाई देंगे। यहाँ रंग पंचमी मनाने का अपना एक अलग महत्व है. बता दें, रंगोत्सव के लिए तीन क्विंटल टेसू के फूल मंगवाए गए हैं। शनिवार से मंदिर परिसर में फूलों से रंग तैयार किए जाएंगे। रविवार को भस्म आरती में परंपरा के रंग बिखेरे जाएंगे।
महाकाल मंदिर में रंग खेलने की है परंपरा
आपको बता दें कि महाकाल मंदिर में रंगपंचमी पर रंग खेलने की अपनी परंपरा है और भगवान महाकाल फूलों के प्राकृतिक रंग यानि हर्बल गुलाल से होली खेलते हैं। हर बार की तरह इस बार भी भारी मात्रा में फूल मंगवाए गए हैं।
शनिवार से रंग तैयार करने का काम होगा शुरू
मंदिर में पुजारी महेश गुरु के मार्गदर्शन में शनिवार से रंग तैयार करने का काम शुरू हो जाएगा। इस रंग में प्राकृतिक सुगंधित द्रव्य का मिश्रण भी किया जाएगा। रविवार तड़के चार बजे भस्म आरती में इसी प्राकृतिक सुगंधित रंग से भगवान के साथ रंग पंचमी का उत्सव मनाया जाएगा। दर्शनार्थी भी भक्ति के रंग में रंग जाएंगे।
प्राकृतिक रंग है पर्यावरण के लिए सुरक्षित
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारियों ने कहा कि होली का पर्व प्राकृतिक रंगों से और भी खूबसूरत हो जाता है. महाकालेश्वर मंदिर से हर साल फूलों से तैयार होने वाले रंग से होली खेल कर प्रकृति प्रेम और स्वच्छ पर्यावरण का संदेश दिया जाता है. इस बार भी मंदिर में प्राकृतिक फूलों से ही होली खेली गई है और रंग पंचमी पर भी इन्ही रंगो से होली खेलने की तैयारी चल रही है.