Saturday, November 23, 2024

मध्य प्रदेश: महाकालेश्वर मंदिर में होली खेलने की जान लीजिए गाइडलाइन

उज्जैन: फाल्गुन के इस महीने में होली के अवसर पर विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के मंदिर में धूम मची हुई है. सोमवार यानि आज शाम होलिका की पूजा अर्चना के बाद मंदिर में बाबा महाकाल को हर्बल गुलाल लगाकर रंगों के इस पर्व को यादगार बनाया जाएगा। जिसके लिए श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति ने भी ख़ास प्रबंध किए हैं, जिससे बाबा महाकाल के भक्त भगवान के साथ इस पर्व को मौज मस्ती से मना सके, लेकिन श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति ने श्रद्धालुओं से इस बात का अनुरोध भी किया है कि मंदिर में होली खेलने आने वाले भक्तों के लिए हर्बल गुलाल की व्यवस्था समिति करेगी। कृपया आप अपने साथ बाहर से किसी भी प्रकार का रंग गुलाल लेकर न लाएं।

बाबा को सिर्फ हर्बल गुलाल ही किया जाएगा अर्पित

श्री महाकालेश्वर मंदिर ऐतिहासिक परंपरा और पञ्चाङ्ग के मुताबिक 6 मार्च यानि आज शाम की आरती में बाबा महाकाल को फूलों बना यानि हर्बल गुलाल चढ़ाया जाएगा। साथ ही शक्कर से निर्मित माला बाबा को अर्पित की जाएगी। इस दौरान अन्य मंदिरों में भी गुलाल अर्पित किया जाएगा। महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित आशीष गुरू ने जानकारी दी कि आज संध्या-आरती के बाद शासकीय पुजारी घनश्याम गुरुजी व अन्य पुजारी, पुरोहितगण होलिका की पूजा अर्चना करेंगे। होलिका दहन श्री महाकाल मन्दिर प्रांगण में होगा। 7 मार्च को मंगलवार सुबह मंदिर में धुलेंडी होगी। मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने कहा कि बाबा महाकाल को 7 मार्च को सुबह भस्म आरती में विशेष पुष्प गुलाब अर्पित किए जाएंगे और यह भक्तों के लिए उपलब्ध भी रहेंगे। उन्होंने सभी से विशेष अनुरोध किया है कि आप किसी भी प्रकार का गुलाल अपने साथ लेकर न आएं।

भस्म आरती का समय

बता दें, महाकाल मंदिर में भस्म आरती का समय सुबह 4 बजे से 5 बजे तक होता है लेकिन श्रद्धालुओं को रात 1 बजे से ही लाइन की कतार में लगना पड़ता है। भस्म आरती में ऑनलाइन या ऑफलाइन मिली परमिशन का प्रिंट आउट अपने साथ जरूर रखें। भस्म आरती से पूर्व शिवलिंग पर जलाभिषेक होता है उसके बाद सबको एक बड़े हॉल में जाने के लिए कहा जाता है जहां से भस्म आरती का नजारा देखनी को मिलता है। भस्म आरती के लिए कोई ड्रेस कोड नहीं होता है पर जो लोग बाबा का जलाभिषेक करना चाहते हैं उनके लिए खास ड्रेस कोड तय है जिसका ध्यान रखना बेहद जरुरी है। महिलाओं को केवल साड़ी में ही जलाभिषेक करने की अनुमति है और पुरुष धोती में ही जा सकते हैं।

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