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आइए जानते है क्या होता है रेसिप्रोकल टैक्स और इसके नुकसान

भोपाल। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार सुबह-सुबह भारत को एक बड़ा झटका दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी संसद (कांग्रेस) के जॉइंट सेशन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत हमसे 100 फीसदी से ज्यादा का टैरिफ वसूलता है, हम भी अगले महीने से ऐसा ही करेंगे। 2 अप्रैल से भारतीय प्रोडक्ट्स पर […]

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  • March 5, 2025 8:16 am IST, Updated 17 hours ago

भोपाल। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार सुबह-सुबह भारत को एक बड़ा झटका दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी संसद (कांग्रेस) के जॉइंट सेशन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत हमसे 100 फीसदी से ज्यादा का टैरिफ वसूलता है, हम भी अगले महीने से ऐसा ही करेंगे। 2 अप्रैल से भारतीय प्रोडक्ट्स पर डोनाल्ड ट्रंप रेसिप्रोकल टैरिफ नीति लागू करेंगे।

जानें कब लगता है रेसिप्रोकल टैक्स

अमेरिकी संसद के अपने 1 घंटा 44 मिनट के भाषण में ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने 43 दिन में जो किया, वह कई सरकारें अपने लंबे कार्यकाल में नहीं कर पाईं। चलिए, अब आपको बताते हैं कि आखिर रेसिप्रोकल टैरिफ क्या होता है, कोई देश किसी दूसरे देश पर कब लगाता है।

क्या है रेसिप्रोकल टैक्स

रेसिप्रोकल शब्द का मतलब होता है प्रतिशोधात्मक। आम भाषा में कहे तो जैसे को तैसा वाली नीति। रेसिप्रोकल टैरिफ एक ऐसा टैक्स या व्यापार प्रतिबंध है जो एक देश दूसरे देश पर तब लगाता है, जब वह देश भी उसी तरह का टैक्स या प्रतिबंध पहले देश पर लगाता हो। यानी अगर एक देश दूसरे देश के सामान पर 100 फीसदी टैक्स लगाता है, तो दूसरा देश भी उस पर उतना ही टैक्स लगा सकता है। इसका उद्देश्य व्यापार में संतुलन बनाना होता है।

रेसिप्रोकल टैक्स का उद्देश्य

रेसिप्रोकल टैक्स व्यापार में संतुलन तो लाता है। साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि कोई देश दूसरे देश के सामान पर ज्यादा टैक्स तो नहीं लगा रहा ना। रेसिप्रोकल टैक्स से स्थानीय उद्योगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में विदेशी सामान महंगा होने से स्थानीय उद्योगों को फायदा मिलता है। व्यापार वार्ता का हिस्सा भी इसका मुख्य उद्देश्य होता है। कई बार देश इसे एक वार्ता के तौर पर इस्तेमाल करते हैं ताकि दूसरा देश टैक्स को कम करें।

रेसिप्रोकल टैक्स के नुकसान

रेसिप्रोकल टैक्स का सबसे नुकसान यह है कि व्यापार युद्ध का खतरा होता है। अगर दोनों देश एक-दूसरे पर टैक्स लगाते रहें, तो यह व्यापार युद्ध बदल सकता है। महंगाई बढ़ने की संभावना ज्यादा हो जाती है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में विदेशी सामान महंगा होने से उपभोक्ताओं को हानि होती है। रेसिप्रोकल टैक्स से आपूर्ति श्रृंखला में बाधा आती है। व्यापार युद्ध से वैश्विक आपूर्ति की श्रृंखला प्रभावित होती है।


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