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German Women Patient: जर्मनी की महिला ने 5 महीने भोपाल में कराया इलाज, भारतीय उपचार पद्धति पर दुनिया ने दिखाया विश्वास

भोपाल। कई रोगों का एलोपैथी में तमात तरीके के इलाज और सर्जरी के बाद भी मरीजों को किसी तरह का आराम नहीं मिल रहा हैं। ऐसे में भारतीय आयुष पद्धति लाभकारी सिद्ध हो रही है। एम्स के आयुष विभाग में जर्मनी से आई 32 वर्षीय महिला का क्षार सूत्र पद्धति से फिस्टुला बीमारी की सफल […]

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  • July 6, 2024 6:24 am IST, Updated 8 months ago

भोपाल। कई रोगों का एलोपैथी में तमात तरीके के इलाज और सर्जरी के बाद भी मरीजों को किसी तरह का आराम नहीं मिल रहा हैं। ऐसे में भारतीय आयुष पद्धति लाभकारी सिद्ध हो रही है। एम्स के आयुष विभाग में जर्मनी से आई 32 वर्षीय महिला का क्षार सूत्र पद्धति से फिस्टुला बीमारी की सफल इलाज सफल साबित हुआ।

5 महीने भोपाल में इलाज कराकर अपने देश वापस गई

जानकारी के मुताबिक इलाज और सर्जरी कराने के बाद भी बीमारी से राहत नहीं मिली। लोगों को एलोपैथी पद्धति से बीमारी में कोई सुधार नहीं दिख रहा था। जिसके बाद महिला आयुर्वेद पद्धति के बारे में जानकारी लेकर भारत आई और 5 महीने भोपाल में रुककर इलाज कराया। जिसके सफल उपचार के बाद ठीक होकर वह अपने देश रवाना हो गई। एम्स भोपाल के आयुष विभाग में बवासीर, फिस्टुला, फिशर और पाइलोनिडल साइनस जैसी समस्याओं के लिए आयुर्वेद ओपीडी में क्षार सूत्र पद्धति से इलाज किया जाता है। यह उपचार अब विदेशों तक प्रसिद्ध हो रहा है। जिससे एम्स भोपाल अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाते जा रहा है।

अन्य पद्धति से आयुर्वेद की पद्धति बेहतर है

जर्मनी की 32 वर्षीय महिला फिस्टुला से पीड़ित थी। जिसने भोपाल एम्स में आयुर्वेद की पद्धति से अपना सफल इलाज कराया। अपने इलाज का अनुभव बताते हुए मरीज ने बताया कि फिस्टुला का इलाज क्षार सूत्र विधि द्वारा केवल भारत में ही किया जाता है। एम्स भोपाल में बीमारी का बेहतर इलाज मिला है। क्षार सूत्र विधि द्वारा इलाज में समय जरुर लगता है, लेकिन आयुर्वेद पद्धित से उपचार बाकी पद्धतियों में इलाज की तुलना में बेहतर इलाज होता है और कम भी तकलीफ होती है।


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