भोपाल. पांच दिन तक चलने वाली मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्यवाही महज दो दिन में ही सिमट गई. विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गई है. दो दिन तक विधानसभा में आदिवासियों पर अत्याचार का मुद्दा गूंजता रहा. लेकिन दोनों दिन चर्चा नहीं हो सकी. विपक्ष ने लगातार सदन में हंगामा किया और […]
भोपाल. पांच दिन तक चलने वाली मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्यवाही महज दो दिन में ही सिमट गई. विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गई है. दो दिन तक विधानसभा में आदिवासियों पर अत्याचार का मुद्दा गूंजता रहा. लेकिन दोनों दिन चर्चा नहीं हो सकी. विपक्ष ने लगातार सदन में हंगामा किया और चर्चा पर अड़ी रही. हंगामें के बीच विधानसभा में इस वित्तीय वर्ष का पहला अनुपूरक बजट पास हुआ और सदन की कार्यवाही स्थगित हो गई.
मध्यप्रदेश विधानसभा में ही घंटों चले मानसून सत्र के अचानक सत्रावसान किए जाने कि घोषणा पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा, हमारी मांग थी कि आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों पर स्थगन प्रस्ताव लाया जाए, लेकिन शिवराज सरकार सदन में चर्चा के लिए ही तैयार नहीं है. महाकाल लोक में हुए भ्रष्टाचार, सतपुड़ा भवन में हुए अग्निकांड, महंगाई, बेरोजगारी और पूरे प्रदेश में अव्यवस्था. शिवराज सरकार किसी भी चीज़ पर चर्चा करने को तैयार नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि सरकार गंभीर मुद्दों पर सदन का सामना करना तो दूर अब प्रदेश का सामना करने में असफल और अक्षम साबित हो गई है. जबकि हर वर्ग परेशान है. आक्रोशित और व्यथित है. इन सबसे अलग सरकार ने प्रायोजित तरीक़े से कुछ ही घंटों में सदन के इस आख़िरी सत्र का समापन कर संविधानिक मूल्यों का मखौल उड़ाया है. अब हम सड़कों पर इनके विरुद्ध संघर्ष करेंगे.
वहीं विपक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि आदिवासियों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं. हमने चर्चा की मांग की लेकिन सरकार चर्चा से भागती रही और जानबूझकर विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करवा दी गई. सरकार आदिवासियों पर चर्चा करने से क्यों बच रही है. विपक्ष के आरोपों पर मंत्री गोविन्द सिंह ने कहा कि, सरकार ने सभी आरोपों का जवाब सदन में दिया. विधानसभा में हंगामा करना कांग्रेस की आदत हो गई है. सरकार किसी भी तरह से चर्चा से भागी नहीं है. विपक्ष सिर्फ हंगामा करती है कांग्रेस के पास मुद्दे नहीं बचे हैं.