भोपाल। चुनावी काल में सरकार का कर्जा बढ़ता ही जा रहा है. इसमें कपड़ों, बिस्तर, टेंट का किराया, वीआईपी की आवभगत पर होने वाले खर्च भी सम्मिलित हैं। इनसे बढ़ने वाला कर्ज जनता को अगले 20 साल तक चुकाना पड़ सकता है। प्रदेश में पिछले वित्त वर्ष में प्रत्येक व्यक्ति पर 40 हजार रुपए का […]
भोपाल। चुनावी काल में सरकार का कर्जा बढ़ता ही जा रहा है. इसमें कपड़ों, बिस्तर, टेंट का किराया, वीआईपी की आवभगत पर होने वाले खर्च भी सम्मिलित हैं। इनसे बढ़ने वाला कर्ज जनता को अगले 20 साल तक चुकाना पड़ सकता है। प्रदेश में पिछले वित्त वर्ष में प्रत्येक व्यक्ति पर 40 हजार रुपए का कर्जा था, जो इस साल के अंत में 47 हजार रु. तक हो सकता है। वित्तीय वर्ष के अंत में प्रदेश के ऊपर 3 लाख 85 हजार करोड़ रु. के कर्ज का बोझ है, जो एक दिन पहले यानी 31 मार्च को 3 लाख 25 हजार करोड़ रु. था. मतलब यह कि कर्ज को चुकाने के लिए सीधे तौर पर 55 हजार करोड़ रु. का कर्ज बढ़ सकता है।
यदि खर्च की बात की जाए तो कर्मचारियों के वेतन पर सरकार को इस साल पिछले वित्त वर्ष यानी 2022-23 की तुलना में 2023-24 में 8373 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च करने पड़ने पड़ सकते हैं। सरकार ने पिछले वर्ष कर्मचारियों के वेतन भत्ते पर 47,941 करोड़ रूपए खर्च किए थे, यह बजट का 17.69 प्रतिशत था। इस साल ये खर्च बढ़कर 56,314 करोड़ रूपए पहुंच सकता है। सीधे-सीधे 7.50 लाख कर्मचारियों के वेतन की अदायगी पर सरकार को इस साल 8373 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ सकते हैं।
आगे लग्जरी वाहनों की खरीद तेज होगी। पिछले साल वाहनों की खरीदी और किराए पर 137 करोड़ रूपए के खर्च का प्रावधान था, जो बजट का 0.05 प्रतिशत था। इस वित्तीय वर्ष में वाहनों की खरीद पर 192.82 करोड़ रूपए खर्च का प्रावधान है, जो बजट का 0.06 प्रतिशत होगा। यह पिछले साल के मुकाबले 55 करोड़ रु. ज्यादा हो सकते हैं। वहीं, वीआईपी आवभगत पर 6 करोड़ रूपए ज्यादा खर्च हो सकते हैं। यह राशि पिछले साल 7.80 करोड़ रुपए खर्च हुई, इस साल यह खर्चा 13 करोड़ 69 लाख रुपए पहुंच सकता है। सरकारी कार्यक्रमों के लिए बिस्तर, टेंट और कुर्सियों पर 7 करोड़ 16 लाख रुपए खर्च किए जा सकते हैं, वही पिछले वित्त वर्ष में यह खर्च 5.87 करोड़ रुपए था।