भोपाल। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के मकसद से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आरबीआई ने लगातार दूसरी बार प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट को कम किया है। रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि ‘6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति […]
भोपाल। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के मकसद से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आरबीआई ने लगातार दूसरी बार प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट को कम किया है। रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि ‘6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने आम सहमति से कटौती करने का यह फैसला लिया गया है।’
बता दें कि मौद्रिक नीति समिति में तीन सदस्य केंद्रीय बैंक से, वहीं तीन सदस्य बाहर से होते हैं। मल्होत्रा नेने कहा कि आरबीआई ने अपने नीतिगत रुख को ‘तटस्थ’ से बदलकर ‘उदार’ में बदल दिया है। संभावना है कि आरबीआई आने वाले समय में जरूरत पड़ने पर नीतिगत दर में और कटौती कर सकता है। रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर कमर्शियल बैंक अपनी इमिडिएट नीड्स को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्जाकर्ज लेते हैं। आरबीआई इन्फ्लेशन को नियंत्रित रखने के लिए इस दर का इस्तेमाल किया जाता है।
रेपो दर में कमी करने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न लोन पर ईएमआई में कमी आ सकती है। आरबीआई ने नीतिगत दर में कटौती ऐसे समय पर की है, जब अमेरिका ने निर्यात किए जाने वाले भारतीय उत्पादों पर 26 प्रतिशत का टैरिफ टैक्स लगाया है। अमेरिकी शुल्क से अनिश्चितताएं बढ़ी हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों ने 1 अप्रैल से शुरू हुए चालू वित्त वर्ष में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि में 0.2 से 0.4 प्रतिशत की गिरावट की संभावना जताई थी।
इसी के चलते आरबीआई ने भी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 फीसदीप्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा मुद्रास्फीति के अनुमान को भी घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है। इससे खुदरा महंगाई का अनुमान आरबीआई के लक्ष्य के अनुरूप हो गया है। आरबीआई ने इससे पहले इस साल की शुरुआत फरवरी में मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। यह मई, 2020 के बाद पहली कटौती और ढाई साल के बाद पहला संशोधन था।