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उज्जैन में किसान ने बेटे को पैसों से तौला, मंदिर निर्माण के लिए दिए इतने लाख रूपये

भोपाल: अक्सर देखा जाता है कि लोग मन्नत पूरी होने के लिए तरह-तरह की चीजें भेंट की रूप में चढ़ाते है और खुशिया मनाते हैं। ऐसे में एक मामला एमपी में तेजा दशमी त्योहार पर देखा गया है। इस पर्व के अवसर पर उज्जैन जिले के बड़नगर में मन्नत पूरी होने पर एक किसान ने […]

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  • September 13, 2024 10:34 am IST, Updated 5 months ago

भोपाल: अक्सर देखा जाता है कि लोग मन्नत पूरी होने के लिए तरह-तरह की चीजें भेंट की रूप में चढ़ाते है और खुशिया मनाते हैं। ऐसे में एक मामला एमपी में तेजा दशमी त्योहार पर देखा गया है। इस पर्व के अवसर पर उज्जैन जिले के बड़नगर में मन्नत पूरी होने पर एक किसान ने अपने बेटे को पैसों से तौल दिया. जिसका वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। फिर क्या था? इस कार्यक्रम को देखने के लिए मंदिर में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जुट गई. बेटे को पैसों से तोलने के लिए किसान ने 10-10 के नोटों की गड्डी कई सालों से जमा की थी.

तेजा दशमी पर निशाना चढ़ाने की परंपरा

दरअसल, तेजा दशमी के पर्व पर उज्जैन जिले में तेजाजी महाराज के मंदिरों में निशान चढ़ाने की परंपरा है. इस परंपरा के तहत लोग अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इसी क्रम में उज्जैन से 50 किलोमीटर दूर बड़नगर में किसान चतुर्भुज जाट ने तेजा दशमी के मौके पर अपने 30 साल के बेटे वीरेंद्र जाट को नोटों से तौला.

चार वर्ष पहले मांगी थी बेटे के लिए मन्नत

दरअसल, उज्जैन के एक किसान ने मन्नत मांगी थी कि अगर उसके बेटे की इच्छा पूरी हो गई तो उसके बेटे वीरेंद्र को नोटों से तौला जाएगा. यह मन्नत पूरी होने पर तेजा दशमी के मौके पर वीरेंद्र को बड़नगर के वीर तेजाजी महाराज के मंदिर में नोटों से तौला गया. तराजू के एक पलड़े में रखी नोटों की गड्डियां, जबकि वीरेंद्र दूसरी सीट पर बैठा था। किसान चतुर्भुज के मुताबिक 10 लाख रुपये की रकम से उनके बेटे का वजन 83 किलो हो गया.

दान में दी 10 लाख 70 हजार रुपये की राशि

तेजाजी मंदिर के निर्माण के लिए किसान चतुर्भुज ने अपने बेटे को नोटों की गड्डियों से तौलकर 10 लाख 70 हजार रुपये की राशि दान में दी. किसान ने बताया कि चार साल पहले उसने मन्नत मांगी थी, जिसे भगवान ने पूरा किया. इस समय उनकी इच्छा अपने बेटे को तेजाजी मंदिर में बराबर वजन के नोट दान करने की थी.


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