भोपाल। किसी भी बच्चे को भीख मांगते हुए देखना बहुत ही दुखद अनुभव होता है। अक्सर ऐसे बच्चे हमें ट्रैफिक लाइट से लेकर सड़कों और रेलवे स्टेशनों पर भीख मांगते दिखाई दे जाते हैं। हालांकि, सरकार की तरफ से बच्चों में बढ़ती भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए कई कानून पास किए गए हैं। बावजूद इसके भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या कम नहीं हो रही है। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के ग्लावियर से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां ग्वालियर के जिला शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों (Gwalior Teachers) की ड्यूटी भिखारियों को ढूंढने के काम में लगा दी है।
जिला शिक्षा अधिकारी ने दिया आदेश
दरअसल, महिला बाल विकास विभाग की तरफ से बच्चों में बढ़ती भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए नया अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत ग्लावियर के जिला शिक्षा अधिकारी ने एक आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, शिक्षकों को भीख मांगने वाले बच्चों की तलाश करनी है और उनके पुर्ननिवास का इंतजाम करके मुख्यधारा में लाने की बात कही गई है।
आदेश से शिक्षकों में रोष
यही नहीं इस अभियान हेतु जिला शिक्षा अधिकारी ने औपचारिक पत्र जारी किया है। जिसके अनुसार सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक शिक्षकों (Gwalior Teachers) को भीख मांगने वाले बच्चों को तलाशने की ड्यूटी मिली है। प्रशासन की ये पहल जहां काफी सराहनीय मानी जा रही है, वहीं दूसरी तरफ इस फैसले से शिक्षकों में गहरा रोष भी देखने को मिला है। इस गर्मी और चिलचिलाती धूप में घूम कर बच्चों की तलाश करना शिक्षकों के लिए आसान काम नहीं है। ऐसे में ये 9 घंटे की नई ड्यूटी शिक्षकों के लिए मुसीबत बनी हुई है।
संविधान में मिला है अधिकार
बता दें कि भारतीय संविधान में भी 14 साल तक के बच्चों को पढ़ने का अधिकार मिला है। जिसमें ‘शिक्षा का अधिकार’ (Right to Education) पहले राज्य के नीति निदेशक तत्व के अनुच्छेद 45 में रखा गया था, इसे मानने के लिए सरकारें बाध्य नहीं थीं। हालांकि 2002 में 86वें संविधान संशोधन के तहत ‘शिक्षा के अधिकार’ को मूल अधिकार (Fundamental Rights) बनाया गया। ऐसे में अनुच्छेद 21 ए के अंतर्गत 6 से 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार प्राप्त है। जबकि सरकार ने साल 2009 में शिक्षा का अधिकार एक्ट (Right to Education Act) को भी हरी झंडी दी।