Friday, November 22, 2024

MP News: चंबल नदी से मिले 3 और शव, 2 अभी भी लापता, पढ़िए पूरी अपडेट

भोपाल। चंबल में बहे सात लोगों में से लापता पांच की तलाश रविवार से की जा रहे है। एनडीआरएफ की टीम ने उनकी लगातार तलाश की कोशिश की, लेकिन रविवार शाम तक उनका कोई पता नहीं चल सका था। इधर शनिवार को रेस्क्यू टीम द्वारा निकाले गए 2 शवों का ग्राम चिलावद में अंतिम संस्कार कर दिया गया। बाद में तीन शव और पाए गए. गांव में मातम छाया रहा।

मरने वालों की संख्या हुई 5

आपको बता दें कि शिवपुरी जिले के कोलारस के तेंदुआ थाना क्षेत्र के चिलावद गांव में 17 लोग चंबल नदी में बह गए थे। ये लोग राजस्थान की करौली में केला माता मंदिर के दर्शन करने के लिए पैदल गए थे। चंबल नदी को पार करते समय यह हादसा हुआ था। इनमें से सात लोग गायब हो गए थे। यह घटना राजस्थान के करौली के रोधई गांव में चंबल घाट पर घटित हुई थी। आज 2 शवों का अंतिम संस्कार चिलावद गांव में परिजनों ने किया। जिसके बाद तीन शव और बरामद हुए, जिनके नाम 24 वर्षीय रुक्मणी, 45 वर्षीय अलोपा बाई और 19 वर्षीय रश्मि है. चिलावद गांव के ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए कहा कि करौली में केला माता के दर्शन के लिए जो गए थे, वे सभी श्रद्धालु कोलारस के तेंदुआ थाना क्षेत्र के चिलावद गांव के कुशवाह परिवार से संबंध रखते थे। रविवार की सुबह देवकीनंदन पिता हीरा कुशवाह और कल्लो कुशवाह पति चेंऊ कुशवाह के शव चिलावद गांव में लाए गए थे। अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में गांव के लोगों की भीड़ इकठ्ठा हुई थी।

जत्थे में शामिल चेंऊ कुशवाह ने दी जानकारी

जिले के चिलावद गांव के रहने वाले 35 साल के चेंऊ कुशवाह ने जानकारी देते हुए कहा कि नवरात्रि में पद यात्रा की सहमति फसल कटने से पहले ही तय हो गई थी. चेंऊ कुशवाह ने आगे कहा कि चिलावद गांव से निकलने के बाद रात्रि विश्राम करके हम सभी शिवपुरी के बरगवां ठहर गए थे। वही दूसरी रात हम विजयपुर के छिमछिमा हनुमान मंदिर में रुक गए थे. यहां तक पहुंचने के बाद भी किसी को थकान महसूस नहीं हुई थी। इसके बाद दो रात रास्ते में पड़ने वाले गांव में बिताई थी। 18 मार्च की सुबह 7 बजे हम टेंटरा थाना क्षेत्र के चंबल किनारे पर थे। चेंऊ कुशवाह ने कहा कि चंबल नदी का बहाव बहुत तेज था, मैं और मेरे साथ एक दो ही ऐसे लोग मौजूद थे, जिन्होंने पहले भी केला देवी धाम की यात्रा पैदल की थी। हम सभी ने एक दूसरे का हाथ थामने और किसी भी हालात में हाथ न छोड़ने का वादा किया था। देवकीनंदन ने 10 वर्षीय लवकुश को अपने कंधे पर बैठा लिया था। सभी लोग एक दूसरे का कसकर हाथ पकड़कर गंगा मैया और चंबल मैया के जयकारे लगाकर आगे बढ़ रहे थे। जैसे ही वो लोग चंबल के बीच मझधार में पहुंचे तभी एक रेत का गड्ढा आ गया था, इसके बाद महिलाओं का संतुलन बिगड़ा और हाथ छूटते ही परिवार के सात सदस्य नदी में डूब गए।

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