Thursday, November 21, 2024

MP Politics: एमपी बीजेपी ने घोषणा पत्र समिति का किया ऐलान, इन नेताओं के नाम लिस्ट से बाहर

भोपाल. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए BJP ने अपना मेनिफेस्टो यानी घोषणा पत्र तैयार करने वाली समिति का ऐलान कर दिया है. जयंत मलैया की अध्यक्षता वाली 19 सदस्यों की इस समिति में कई दिग्गज नेताओं को साइडलाइन किया गया है. घोषणा पत्र समिति में पार्टी के कई वरिष्ठ और दिग्गज नेताओं के नाम शामिल नहीं है.

इन नेताओं के नाम शामिल नहीं

लिस्ट में केंद्रीय मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र खटीक, पूर्व सीएम उमा भारती, पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, केंद्रीय पार्लियामेंट बोर्ड के सदस्य सत्यनारायण जटिया, कृष्ण मुरारी मोघे, विक्रम वर्मा, गोपाल भार्गव, जयभान सिंह पवैया और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा का नाम शामिल नहीं होने से सियासी सनसनी फैल गई है.

क्या खटीक को पत्र लिखना पड़ा भारी?

जानकारी के अनुसार एमपी से मोदी कैबिनेट में सभी मंत्रियों को मध्य प्रदेश इलेक्शन कमेटियों में जगह मिली है, लेकिन सिर्फ वीरेंद्र खटीक ही ऐसे मंत्री हैं, जिन्हें जगह नहीं मिली. अब इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या खटीक को पत्र लिखना भारी पड़ गया? दरअसल, कुछ दिनों पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक ने पत्र लिखकर 10 साल पुरानी घोषणाओं को पूरा करने का रिमाइंडर भेजा था. इस पत्र में साफ जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने लिखा था कि 2013 और 2018 इलेक्शन से ठीक पहले दो बार एक ही काम की घोषणा हुई, पर अब तक यह काम पूरे नहीं हुए हैं. यह पत्र काफी सुर्खियों में आया था. इसके बाद सरकार की किरकिरी भी हुई थी.

जयंत मलैया ने कांग्रेस पर कसा तंज

घोषणा पत्र समिति का अध्यक्ष बनने के बाद पूर्व मंत्री जयंत मलैया ने कहा कि घोषणा पत्र को लेकर सभी साथियों के साथ बैठकर चर्चा करेंगे. नौजवानों, महिलाओं, किसानों और शोषित-वंचित वर्गों के लिए बीजेपी हमेशा काम करती रही है. इस बार भी हम सब इसी दिशा में काम करेंगे. कांग्रेस के वचन पत्र से हमारा कोई लेना-देना नहीं है. हमारा घोषणापत्र हमारी अपनी सोच है. वहीं, कांग्रेस से मुकाबला करने के सवाल पर जयंत मलैया ने कहा कि पिछली बार जो वादे कांग्रेस ने किए थे, कर्जमाफी तक का वादा पूरा नहीं कर पाए, 2 लाख रुपए तक का कर्जा किसी का माफ नहीं हो पाया. कांग्रेस सिर्फ कहने के लिए वादे कर रही है. मैं उस समय वित्त मंत्री था. मुझे तो पता था कि सरकार की हालत ही ऐसी नहीं थी कि 2 लाख तक का कर्ज माफ हो सके.

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