नर्मदापुरम संभाग. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही राज्य में सियासी गतिविधियों ने रफ्तार पकड़ ली है. भाजपा और कांग्रेस में उच्चस्तरीय बैठकों, मुद्दों पर आरोप-प्रत्यारोप, ताबड़तोड़ दौरे, तो वहीं जिला सम्मेलन भी हो रहे हैं. प्रदेश में एक्टिव अन्य राजनीतिक दलों ने भी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं. ऐसे में प्रदेश के अलग-अलग संभागों में 2018 के विधानसभा चुनावों में क्या स्थिति रही थी, इस पर भी चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है. पार्टियों ने पिछले चुनाव में जिन सीटों को गंवाया था, वहां जीतने के लिए ज्यादा जोर लगाना शुरू कर दिया है. बीते चुनाव में कई क्षेत्र भाजपा के गढ़ रहे तो कहीं कांग्रेस ने किले ढहा दिए. अलग-अलग संभागों में कहीं चौंकाने वाले परिणाम आए तो कहीं परंपरागत रूप से रिजल्ट सामने आया. तो चलिए जानते हैं इस संभाग में दलों और उम्मीदवारों की स्थिति कैसी रही.
नर्मदापुरम संभाग में हैं 11 विधानसभा
नर्मदापुरम संभाग एमपी के मध्य भारत और पुराने गोंडवाना क्षेत्र के कुछ हिस्सों से मिलकर बना है. इस संभाग में तीन जिले हैं. होशंगाबाद, बैतूल और हरदा. इन तीन जिलों में विधानसभा की 11 सीटें हैं. इनमें से तीन सीटें अनुसूचित जनजाति और दो सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही और हरदा जिले की टिमरनी विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. इसी तरह बैतूल जिले की आमला और नर्मदापुरम जिले की पिपरिया सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं.
बैतूल की चार सीटों पर कांग्रेस का कब्जा
अब नर्मदापुरम संभाग की सभी विधानसभा सीटों पर पिछले चुनाव परिणाम की बात करते हैं. वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा को नर्मदापुरम संभाग में ओवरऑल नुकसान उठाना पड़ा. इस जिले की कुल 11 सीटों में से भाजपा के खाते में 7 तो कांग्रेस को चार सीटें मिली. जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में 11 में से 10 सीटें भाजपा के पास थीं, कांग्रेस सिर्फ एक सीट पर ही जीत हासिल कर सकी थी. कांग्रेस ने बैतूल की चार सीटों मुलताई, बैतूल, घोड़ाडोंगरी और भैंसदेही पर उलटफेर करते हुए भाजपा से ये सीटें छीन ली. जबकि इसी जिले की आमला सीट भाजपा के पास बरकरार रही.
हरदा की दोनों सीटों पर बीजेपी का कब्जा
वहीं हरदा जिले में भाजपा ने दोनों सीटें टिमरनी और हरदा जीतीं. इनमें हरदा सीट पर 2013 के चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. भाजपा के सीनियर नेता और मंत्री रह चुके कमल पटेल को कांग्रेस के डॉ. रामकृष्ण दोगने ने हराया था. 2018 के चुनाव में कमल पटेल ने वापसी की. कमल पटेल और डॉ. दोगने आमने-सामने थे लेकिन इस बार हार कांग्रेस के खाते में रही. उधर, टिमरनी सीट पर संजय शाह मकड़ाई दोबारा जीते. 2018 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के अभिजीत शाह को शिकस्त दी.
नर्मदापुरम जिले पर भी बीजेपी का दबदबा
बात करें नर्मदापुरम जिले की तो 2018 के चुनाव में भी यह भाजपा का अभेद्य किला बना रहा. यहां की चारों सीटों सिवनी मालवा, होशंगाबाद, सोहागपुर और पिपरिया में भाजपा प्रत्याशियों ने जीत बरकरार रखी. सिवनी मालवा को छोड़कर तीनों सीटों पर 2013 के प्रत्याशी ही रिपीट किए गए. होशंगाबाद से पूर्व विधानसभा स्पीकर डॉ. सीतासरन शर्मा, सोहागपुर से पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष विजयपाल सिंह और पिपरिया से ठाकुरदास नागवंशी विजयी रहे. सिवनी मालवा से 2013 में भाजपा के सरताज सिंह विधायक थे तो 2018 में भाजपा के ही प्रेम शंकर वर्मा विधायक बने. इस चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री और पांच बार के सांसद सरताज सिंह ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. वे होशंगाबाद सीट से पराजित हुए.
इन सीटों पर कम हुआ वोट प्रतिशत
बता दें कि वर्ष 2018 के चुनाव में नर्मदापुरम संभाग की जिन सीटों पर भाजपा ने अपनी जीत कायम रखी उन पर वोट प्रतिशत कम हो गया. जैसे 2013 के चुनाव की तुलना में सिवनी मालवा में भाजपा के 2 प्रतिशत वोट कम हो गए तो होशंगाबाद में 13 प्रतिशत वोट कम हुए. इसी तरह पिपरिया में 11 प्रतिशत व सोहागपुर में 7 प्रतिशत वोट कम हुए. वहीं कांग्रेस ने मुलताई में 11 प्रतिशत वोट बढ़ाते हुए सीट जीती. जबकि आमला में भाजपा के 11 प्रतिशत वोट कम हो गए. बैतूल में कांग्रेस के 13 प्रतिशत और भैंसदेही में कांग्रेस के 10 प्रतिशत वोट बढ़े. जबकि हरदा सीट पर भाजपा जीती मगर वोट सिर्फ 4 प्रतिशत बढ़े. इसी तरह टिमरनी सीट पर भाजपा के 8 फीसदी वोट कम हो गए.