भोपाल। मध्य प्रदेश में 2018 के विधान सभा चुनाव में कमलनाथ-दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया की तिकड़ी से बीजेपी मात खा चुकी है। इसलिए इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रही है। कर्नाटक विधान सभा चुनाव से पहले यह कहा जा रहा था कि बीजेपी आलाकमान ने प्रदेश में बड़े बदलाव की योजना बना रखी है लेकिन कर्नाटक विधान सभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बदलाव की योजना में थोड़ा ब्रेक लगा है। हालांकि मध्य प्रदेश को लेकर भाजपा आलाकमान की अंतिम सोच का अभी इंतजार किया जा रहा है।
बीजेपी नए प्रदेश अध्यक्ष की करेगी नियुक्ति
बता दें कि पार्टी को मध्य प्रदेश में अभी नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति करनी है। राष्ट्रीय टीम में मध्य प्रदेश के किन-किन नेताओं को क्या-क्या पद दिया जाएगा, इस पर भी प्रदेश के सभी नेताओं की निगाहें टिकी हुई हैं। भाजपा के लिए मध्य प्रदेश सरकार और संगठन में मचा आंतरिक बवाल भी एक बड़ी समस्या बना हुआ है। जिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों के बल पर 2020 में कांग्रेस की सरकार गिराकर भाजपा ने फिर से शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाया था, उनमें से लगभग आधे विधायकों के हारने की सर्वे रिपोर्ट आने के बाद पार्टी वहां बदलाव का मूड बना रही है, लेकिन उससे पहले ही सिंधिया समर्थक ने भाजपा को छोड़ना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस के वादे बीजेपी के लिए चुनौती !
कई सीटों पर सिंधिया गुट के वर्तमान विधायक और भाजपा के स्थापित पुराने नेताओं के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। हालांकि भाजपा के एक वरिष्ठ रणनीतिकार के अनुसार पार्टी नेताओं या टिकट दावेदारों की आपसी लड़ाई बहुत बड़ी समस्या नहीं है। भाजपा के लिए असली चुनौती कमलनाथ और कांग्रेस नेताओं के बड़े-बड़े वादे हैं। क्योंकि कांग्रेस के इन्ही वादों और गारंटियों के फेर में फंसकर भाजपा को कर्नाटक में अपनी सत्ता गंवानी पड़ी। पार्टी को एक लंबे अरसे बाद मध्य प्रदेश में एक नई कांग्रेस से जूझना पड़ रहा है।
कांग्रेस कर रही सॉफ्ट हिंदुत्व पर राजनीति
कमलनाथ की यह नई कांग्रेस दिग्विजय सिंह की कांग्रेस से अलग हटकर है। जो सॉफ्ट हिंदुत्व की पिच पर खेलकर भाजपा की परेशानी बढ़ा रही है। प्रियंका गांधी ने हाल ही में अपने मध्य प्रदेश के चुनावी दौरे की शुरूआत नर्मदा पूजा और आरती से कर यह साफ कर दिया कि कांग्रेस आलाकमान भी सॉफ्ट हिंदुत्व के मसले पर कमलनाथ की रणनीति के साथ खड़ा है। कर्नाटक में जिस तरह से कांग्रेस भ्रष्टाचार के आरोपों को जनता के दिलो-दिमाग में बैठाने में कामयाब रही, उसी तर्ज पर कांग्रेस मध्य प्रदेश में भी लगातार भ्रष्टाचार के मुद्दें को उठाकर शिवराज सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है।
बीजेपी मध्य प्रदेश को नहीं चाहती गंवाना
हालांकि भाजपा मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य को किसी भी हालत में गंवाना नहीं चाहती है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रदेश में अपनी पूरी ताकत झोंकने जा रहे हैं। भाजपा अपने सबसे लोकप्रिय चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों के बल पर प्रदेश में भाजपा के पक्ष में चुनावी माहौल बनाने का प्रयास करेगी तो वहीं चुनावी रणनीति बनाने और उम्मीदवारों के चयन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बड़ी भूमिका निभाएंगे। जेपी नड्डा प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेताओं के बीच आपसी समन्वय बनाने का प्रयास करेंगे।