Thursday, September 19, 2024

MP News: दमोह हिजाब विवाद पर सीएम शिवराज ने जताई नाराजगी, कहा- ये मध्यप्रदेश में नहीं चलने देंगे

भोपाल। मध्य प्रदेश के दमोह में एक प्राइवेट स्कूल में हिन्दू छात्राओं को कथित तौर पर हिजाब पहनने पर मजबूर करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दमोह के स्कूल में अल्लामा इकबाल की नज्म गाये जाने पर सख्त रुख अपनाया है. सीएम शिवराज ने कहा कि “स्कूल में भारत का विभाजन करवाने वाले की कविता पढ़ाई जा रही थी. मध्यप्रदेश की धरती पर ऐसी हरकतें नहीं चलेंगी. ऐसे स्कूल बंद कर दिये जाएंगे.”

सरकार ने नए सिरे से दिए जांच के निर्देश

दरअसल, दमोह के गंगा-जमुना स्कूल के एक पोस्टर में छात्राओं को हिजाब पहनाए जाने के आरोप के बाद हिन्दू सगंठन एक्टिव हुए. इसके बाद मामले ने साम्प्रदायिक रूप ले लिया है. इस मामले में शुरुआती जांच में कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने स्कूल को क्लीनचिट दे दी. लेकिन बाद में यह बात सरकार तक पहुंची और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नए सिरे से जांच करने के निर्देश दे दिए. अब सीएम के सख्त तेवर के बाद दमोह कलेक्टर ने स्कूल पर कार्रवाई करते हुए स्कूल यूनिफॉर्म में हिजाब के बंधन पर रोक लगा दी है. इतना ही नहीं, कलेक्टर के निर्देश के बाद अब अल्लामा इकबाल के ‘लब पे आती है दुआ’ नज्म गाने पर भी रोक लगा दी गई है. अब छात्र सुबह प्रार्थना में सिर्फ राष्ट्रगान जन-गण-मन ही गाएंगे.

मामले पर सीएम शिवराज ने जताई नाराजगी

वहीं, छतरपुर में शुक्रवार को एक कार्यक्रम में नाराजगी जताते हुए सीएम शिवराज ने कहा कि “कल मुझे पता चला कि दमोह के स्कूल में बेटियों को सिर पर कुछ बांधकर आओ, ये नियम बना दिया और पता नहीं, उस व्यक्ति के नाम से जिसने भारत का विभाजन करवाया, उसकी कविता पढ़ाई जा रही थी.” उन्होंने आगे कहा कि,”मैं सावधान करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की धरती पर ऐसी हरकतें नहीं चलेंगी, प्रधानमंत्री के द्वारा जो शिक्षा नीति लागू की गई है, वही शिक्षा नीति लागू होगी. उसके खिलाफ अगर किसी स्कूल में कोई दूसरी गलत चीज पढ़ायेगा या किसी बेटी को सिर पर स्कार्फ बांधकर आओ, इसके लिए कोई मजबूर करेगा तो ऐसा स्कूल मध्यप्रदेश में चल नहीं पाएगा, ये मध्यप्रदेश में नहीं चलने देंगे.”

क्या था मामला?

बता दें कि इसी स्कूल का एक पोस्टर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था, जिसमें टॉप करने वाली बच्चियों की फोटो लगी थी. इन टॉपर्स में कुछ हिन्दू समुदाय की बच्चियां भी थीं, जिन्होंने हिजाब पहना हुआ था. हालांकि, इस मामले में किसी भी छात्रा के परिजनों ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई. लेकिन वायरल फोटो के आधार पर कलेक्टर ने जांच के निर्देश दिए. इसके बाद कलेक्टर ने ट्विटर पर जानकारी दी कि वायरल पोस्टर मामला निराधार है और जांच में कोई दोषी नहीं पाया गया है.

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