Thursday, September 19, 2024

MP Assembly Election: कांग्रेस करेगी क्षेत्रीय महासम्मेलन, आदिवासी इलाकों पर होगा फोकस

भोपाल। मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी करने के लिए कांग्रेस ने क्षेत्रवार रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. पार्टी प्रदेश के विंध्य, मालवा, महाकौशल, और निमाड़ में महासम्मेलन करने जा रही है. इसमें कार्यकर्ताओं-पदाधिकारियों के साथ जनता भी शामिल होगी. पार्टी का इन्हीं इलाकों के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र पर फोकस होगा. संभावना है कि महासम्मेलन भी इन्हीं इलाकों में आयोजित किए जाएंगे. पूर्व सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ इन कार्यक्रमों में शामिल होंगे. कांग्रेस की इस रणनीति पर बीजेपी ने कहा कि यह कांग्रेस की झूठ परोसने की नई रणनीति है.

जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश

बताया जा रहा है कि क्षेत्रीय सम्मेलनों के माध्यम से कांग्रेस की कोशिश प्रदेश के अलग-अलग इलाकों के क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को साधने की होगी. कांग्रेस मीडिया विभाग अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस ने जो रणनीति बनाई है उसमें संभागीय और जिला स्तर पर सम्मेलन के कार्यक्रम शामिल हैं. बड़े शहरों और जिलों में खुद कमलनाथ मौजूद रहेंगे. अन्य इलाकों में पार्टी के वरिष्ठ नेता पहुंचेंगे. कांग्रेस पार्टी के नेता जनता के सुख-दुख में सहभागिता करेंगे, साथ ही कार्यकर्ताओं के साथ नेताओं के संवाद का कार्यक्रम भी होगा. कांग्रेस का पहला सम्मेलन मंडला में होने का चांस है. इसके बाद पार्टी विंध्य और फिर निमाड़ के बड़वानी में भी बड़ा कार्यक्रम करने की तैयारी में है.

बीजेपी सांसद सुमेर सिंह सोलंकी ने कसा तंज

कांग्रेस के क्षेत्रीय स्तर पर सक्रियता बढ़ाने की योजना पर तंज कसते हुए बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी ने कहा कि कांग्रेस झूठ बोलकर आदिवासियों को भ्रमित करने का काम करती है. नारी सम्मान योजना भी झूठा आश्वाशन है. बीजेपी लाडली बहना योजना लेकर आई है. करोड़ों बहनों का नामांकन हो चुका है. जल्द ही उनके खातों में पैसे आएंगे. कांग्रेस सिर्फ झूठ लेकर जनता के बीच पहुंच रही है. बीजेपी विकास के नाम पर जनता के बीच जाएगी. कांग्रेस की किसी भी योजना का कोई असर जमीन पर नहीं होगा. क्योंकि, कमलनाथ ने सरकार में रहते हुए जनता के साथ छलावा किया था.

कांग्रेस का आदिवासी इलाकों पर फोकस

आपको बताते चलें कि क्षेत्रीय महासम्मेलन के दौरान कांग्रेस का फोकस आदिवासी इलाकों पर अधिक रहेगा. इसके पीछे वजह यह है कि 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. साल 2018 में ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी और पार्टी यही प्रदर्शन दोहराना चाहती है. हालांकि, बीजेपी इस बार आदिवासियों को साधने में कोई कोर कसर छोड़ती हुई नजर नहीं आ रही है.

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