भोपाल। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अदालत की अवमानना से संबंधित एक मामले में छिंदवाड़ा के पुलिस अधीक्षक विनायक वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने अवमानना के मामले में प्रतिवादी को कोर्ट में पेश न करने पर छिंदवाड़ा एसपी के व्यवहार पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी को आदेश दिए हैं कि छिंदवाड़ा एसपी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया जाए और अब प्रतिवादी के विरूद्ध वारंट तामीली की जिम्मेदारी हाई कोर्ट की होगी.
क्या था मामला?
बता दें कि छिंदवाड़ा जिले में स्थित तुलसी नारायण संकीर्तन मंडल की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि एनएचएआई ने मंदिर की 1254 वर्ग जमीन का अधिग्रहण कर लिया था. जमीन कब्ज़ा करने के बावजूद भी मुआवजा नहीं दिया गया था. इसके खिलाफ तुलसी रामायण संकीर्तन मंडल ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. एमपी हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद मुआवजा देने के आदेश जारी किए थे. लेकिन इसके बावजूद भी एनएचएआई द्वारा सिर्फ 636 वर्ग फीट का मुआवजा ही प्रदान किया गया. हाईकोर्ट ने अगस्त 2018 में बाकी बचे 618 वर्ग फ़ीट जमीन का मुआवजा देने के निर्देष देते हुए याचिका को हटा दिया था.
19 अप्रैल को होगी सुनवाई
चीफ जस्टिस रवि मलिमठ की युगलपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पुलिस अधीक्षक ने हाईकोर्ट रजिस्ट्री को लिखे गये पत्र में जमानती वारंट तामील नहीं होने की वजह अधिकारी के स्थानातंरण को बताया है. इससे हम नाराज हैं और ऐसा लग रहा है कि हमारे आदेशों को गंभीर रूप से नहीं लिया जा रहा है. युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक सुधीर सक्सेना को निर्देश दिए कि छिंदवाड़ा एसपी विनायक वर्मा को मामले पर फैसला आने तक निलंबित कर दिया जाए.