मध्य प्रदेश। हिंदू धर्म में जानकी जयंती का बहुत महत्व होता है। जानकी जयंती को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन यानी जानकी जयंती के दिन ही माता सीता धरती पर प्रकट हुई थीं। पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर जानकी जयंती […]
मध्य प्रदेश। हिंदू धर्म में जानकी जयंती का बहुत महत्व होता है। जानकी जयंती को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन यानी जानकी जयंती के दिन ही माता सीता धरती पर प्रकट हुई थीं। पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर जानकी जयंती का व्रत रखा जाता है। जानकी जयंती के दिन व्रत करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
इस दिन माता सीता की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही श्रीराम की भी पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि जानकी जयंती पर पूजा करने पर वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। दंपति जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस व्रत को वैवाहिक महिलाएं पूरे मन से करती है। व्रत का संकल्प करके पूजा संपन्न करती हैं। पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 20 फरवरी की सुबह 9 बजकर 58 मिनट पर हो गई थी। इस तिथि की समाप्ति 21 जनवरी की सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर होगी।
जानकी जयंती का व्रत उदया तिथि को ध्यान में रखकर किया जाता है. ऐसे में आज 21 फरवरी, शुक्रवार के दिन जानकी जंयती का व्रत रखकर पूजा की जा रही है. जानकी जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनने। व्रत का संकल्प लें। माता सीता और राम की प्रतिमा को स्थापित करें। उनके सामने घी का दीपक जलाएं। प्रतिमा को फूल और अक्षत अर्पित करें। पूजा करते समय चौपाई पढ़े। व्रत की कथा पढ़े। इसके बाद माता सीता और भगवान राम को मीठे का भोग लगाएं। बता दें कि इस दिन कन्या भोज भी कराया जाता है।
ॐ जानकीवल्लभाय नम:
श्रीरामचन्द्राय नम:
श्री सीतायै नम: