भोपाल। भारतीय रेल की प्राचीन विरासत से नई पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य का एक उदाहरण निशातपुरा कोच फैक्ट्री में देखने को मिला। निशातपुरा कोच फैक्ट्री में 144 साल पुराने कोच को प्रदर्शित किया गया है। कोच फैक्ट्री परिसर में डिस्प्ले किया गया यह कोच इन दिनों पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस कोच में अब पर्यटकों के लिए कैफे खोला जाएगा।
स्वतंत्रता दिवस पर हुआ लोकार्पण
रेलवे कोच फैक्ट्री स्थित प्रशासनिक भवन में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस कोच का लोकार्पण किया गया था । कोच का लोकार्पण मुख्य कारखाना प्रबंधक अमितोज बल्लभ ने किया था । गौरतलब बात यह है कि कोच के बाहर के हिस्से में एमपी की जनजातीय कलाओं में उत्कृष्ट गोंड कला से आकर्षक चित्रों को तैयार किया गया है। यह चित्र भोपाल के वरिष्ठ चित्रकार राज सैनी और मनोज यादव की टीमों के कलाकारों ने बनाए है। जिसमें गोंड परंपरा की संस्कृति को डिस्पले किया गया है। कोच फैक्ट्री के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यह कोच साल 1877 में मैसूर स्थित कारखाने में तैयार किया गया था।
कोच से यात्री ले जाए जाते थे
लंबे समय तक इस कोच का इस्तेमाल सवारी को लाने ले जाने के लिए किया गया। धीरे-धीरे जब कोच का इस्तेमाल कम होने लगा तो रेल मंत्रालय की ओर से इन कोच को नई पीढ़ी को अवगत कराने के लिए विरासत के रूप में डिसप्ले करने की पहल की गई। इसी श्रेणी में भोपाल को यह कोच साल 2013 में मिला।
फोटो आकर्षक का केंद्र
वरिष्ठ चित्रकार राज सैनी का कहना है कि मुझे रेलवे के अधिकारियों द्वारा इस क्षतिग्रस्त कोच को नवीनीकरण करने और नए मॉडल के रूप में प्रदर्शित करने के निर्देश दिए थे। मैंने इसके इंटीरियर और बाहरी हिस्से में अलग-अलग पेंटिंग्स से इसे नया स्वरूप देने की कोशिश की है । खास बात यह है कि कोच के अंदर के हिस्से में कोच फैक्ट्री भोपाल द्वारा किए गए उत्कृष्ठ कार्यों की एक फोटो प्रदर्शनी भी लगाई गई है जो लोगों के लिए खास आकर्षण का केंद्र है।