भोपाल। भारतीय रेसलर विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक में तय वजन से 100 ग्राम ज्यादा होने की वजह से डिस्क्वालिफाई कर दिया गया। जिस पर राष्ट्रीय पहलवानों के ओवरवेट को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस पर भारतीय ओलिंपिक कुश्ती टीम के पूर्व कोच, अर्जुन अवार्डी ज्ञानसिंह सहरावत ने अपनी प्रतिक्रिया देकर कोच पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बेसिक तकनीक पता न होना
ज्ञानसिंह सहरावत अटलांटा ओलिंपिक 1996 से लेकर 10 साल भारतीय कुश्ती टीम के मुख्य कोच रहे हैं। इसके बाद उन्होंने भारतीय रेलवे में 12 साल कोच के रूप में सेवाएं दी हैं। ज्ञानसिंह सहरावत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि स्थिति यह है कि ओलिंपिक समेत अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में नियमों का सख्ती से पालन कराया जाता है, लेकिन देश में स्थिति उलटी है। एक पहलवान दो वजन वर्ग में एक ही मुकाबले के लिए कई बार कुश्ती लड़ जाता है। वजन बढ़ने की स्थिति में ज्यादातर पहलवानों को वजन कम करने की बेसिक तकनीक ही नहीं पता होती। उदारवादी रुख की वजह से अधिकांश राष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप में नियमों में ढ़ील-ढोल पहलवानों को आगे खेलने का मौका दे दिया जाता है।
डाइट की भूमिका महत्वपूर्ण
डॉ सुधीर तिवारी स्पोर्ट्स मेडिसिन, आर्थोपेडिक सर्जन और स्पोर्ट्स इंजुरी विशेषज्ञ ने कहा है कि जिस तरह वजन ज्यादा होने के बाद विनेश ने अपना वजन कम करने के लिए रातभर कोशिश की। यदि उसमें वह सफल भी हो जाती तो बहुत संभावना थी कि फाइनल बाउट में वह सही से मुकाबला नहीं कर पाती, क्योंकि शारीरिक कमजोरी के साथ कोई रेसलर मुकाबले में टिक नहीं सकता। वजन वर्ग की खेल विधाओं में डाइट की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि मुकाबले से पहले और बाद में एक पहलवान को किस तरह की डाइट लेनी चाहिए। यह रेसलर और कोच दोनों के लिए जानना जरूरी है।