भोपाल। उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण की मांग से किसान और उद्योगपति दोनों को मुनाफा होगा। इसके जरिए प्रदेश के सभी जिलों में उद्यमिता और कारोबारी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सकता है। अत: उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण और छोटे-बड़े उद्यम विभाग के परस्पर समन्वय से रोजगार के अवसरों व आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में सहायता मिलेगी। इस दिशा में सार्थक प्रयास किए गए हैं।
स्व-सहायता समूह का गठन करें
इस मामले में शुक्रवार को एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव ने उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ ही उनके परिवारों को जोड़ने के लिए स्व-सहायता समूहों का गठन किया जाना चाहिए । प्रदेश में संभाग स्तर पर हाईटेक नर्सरियां स्थापित कर आवश्यक प्रशिक्षण उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए। उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग का बजट बढ़ाकर बाजार की मांग के मुताबिक गतिविधियां संचालित की जाएं।
पहचान स्थापित करने के विशेष प्रयास
हार्टिकल्चर प्रमोशन एजेंसी स्थापित कर समय-सीमा व रोडमैप निश्चित करते हुए काम किया जाए। इस संबंध में हुई बैठक में मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा समेत अन्य कई अधिकारी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री डा. यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश में मसालों की अलग मंडी विकसित की जाए। मसालों की खेती का अन्य जिलों में भी विस्तार किया जाए। प्रदेश में बड़े पैमाने पर फल, सब्जी और मसालों आदि का उत्पादन किया जाता है। अत: मध्य प्रदेश के पान, संतरा, केला लहसुन आदि की राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान कायम करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएं।