Friday, October 25, 2024

Degree: दीवाली से पहले पत्रकारों को बड़ा तोहफा, संवाददाता बनने के डिग्री की जरुरत नहीं

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट के संवाददाता के रूप में कानून की डिग्री की आवश्यकता को खत्म कर दिया गया है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने ये फैसला लिया है। पहले के नियमों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का संवाददाता बनने के लिए पत्रकारों को कानून की डिग्री की जरुरत होती थी, कुछ अपवादों को छोड़कर जिन्हें CJI द्वारा अपने विवेक के मुताबिक मंजूरी दी जाती थी।

कानून अंधा नहीं है

हाल ही में चीफ जस्टिस के निर्देश पर न्याय की देवी की आंखों से बंधी पट्टी को हटाया गया था। साथ ही उनके हाथ से तलवार को भी हटा दिया गया था। तलवार के स्थान पर अब उनके हाथ में संविधान की किताब रखी गई है। इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि कानून अंधा नहीं है। यह सभी को समानता की नजर से देख सकता है। साथ ही चीफ जस्टिस ने यह भी कहा था कि तलवार हिंसा का प्रतीक है, लेकिन कानून हिंसा नहीं चाहता है। न्याय देवी की नई प्रतिमा को अब न्यायाधीशों की लाइब्रेरी में रखवाया गया है।

कोर्ट की भूमिका दंडात्मक नहीं

वहीं हाल ही में सीजेआई के नेतृत्व में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की शुरुआत की गई है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ब्रिटिश युग के प्रतीकों और कानूनों से अलग होने की आवश्यकता के बारे में उभर कर सामने आए हैं। ये शुरुआत करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि न्यायपालिका की भूमिका दंडात्मक नहीं बल्कि संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने वाली है।

Ad Image
Latest news
Related news