Tuesday, November 12, 2024

Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि के मौके पर जाने कलश का शुभ मूहुर्त और पूजा विधि

भोपाल। आज से शारदीय नवरात्रों का आरंभ हो गया हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि का पर्व है।

पहला दिन शैलपुत्री मां को अर्पित

नवरात्रि के शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के साथ विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा और अनुष्ठान आरंभ होते हैं। नवरात्रि के पहले दिन देवी मां के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि पर ध्यान और मंत्रोच्चार के लिए भी ईशान कोण सबसे उत्तम माना जाता है। यह स्थान मानसिक शांति और ध्यान के लिए आदर्श माना जाता है। यहां बैठकर मंत्र जप करने से मन शांत होता है और जल्द ही फल की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है। यह दिन मां शैलपुत्री को अर्पित होता है।

कलश का विसर्जन

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती हैं। जिससे जीवन में स्थिरता और शांति आती है। शैलपुत्री मां की पूजा करने से सभी मनोकामनाए पूरी होती है। मनुष्य की भक्ति शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है। कलश स्थापना के बाद 9 दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। प्रतिदिन देवी के एक रूप की पूजा होती है। साथ ही 9 दिनों की पूजा के बाद दशमी के दिन ‘विजयादशमी’ के पर्व पर कलश विसर्जन किया जाता है।

कलश स्थापना की सामग्री

7 तरह के अनाज, मिट्टी के बर्तन, मिट्टी, गंगाजल या सादा जल, आम या आशोक के पेड़ के पत्ते, कलश, सुपारी, मौली, सूत, माता की चुनरी, नारियल, माता की चुनरी, केसर, अक्षत, कुमकुम, लाल रंग का साफ कपड़ा, फूल-माता।

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