भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार एलोपैथी डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिए नए मेडिकल कालेज खोलने जा रही है, लेकिन आयुर्वेद अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को पूरा नहीं कर पा रही है। हालत यह है कि प्रदेश में आयुर्वेद के 1800 औषधालयों में से छह सौ से ज्यादा बिना डॉक्टरों के हैं।
इलाज नहीं मिल पा रहा है
इन पदों पर बहाली करने के लिए पिछले वर्ष मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से 698 आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों का चयन किया गया है,लेकिन इस मामले पर हाई कोर्ट में लंबित होने के कारण नियुक्ति नहीं हो पाई है। डॉक्टरों की कमी के कारण रोगियों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। इन औषधालयों में फार्मासिस्ट व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ भी पदस्थ हैं, लेकिन डॉक्टर के नहीं होने से वह बिना काम के हैं।
व्याख्यताओं पदों पर किया पदस्थ
प्रत्येक वर्ष लगभग 10 करोड़ रुपये बिना काम के ही वेतन-भत्ते में खर्च हो रहे हैं। इन अस्पतालों में रिक्तियों की संख्या लगभग 10 वर्ष में बढ़ते हुए 600 तक पहुंची गई है। इस बीच मात्र एक बार ही आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के पदों पर भर्ती हुई थी। जिसमे खाली पदों पर 125 डॉक्टर मिले थे, पर इन्हें औषधालयों में पदस्थ करने की जगह आयुर्वेद कॉलेजों में व्याख्याताओं के पदों पर पदस्थ कर दिया गया।