भोपाल। आज निशिता काल में शिवजी का पूजन किया जाता है। पूजा और जलाभिषेक के लिए देर रात 12:06 से 12:48 तक का समय है। यह 42 मिनट सावन शिवरात्रि की पूजा के लिए अति शुभ माने जाते है। सावन शिवरात्रि का बहुत महत्व है। इस बार सावन शिवरात्रि का व्रत 2 अगस्त यानी आज के दिन रखा जाएगा।
सावन शिवरात्रि का महत्व
इस दिन समुद्र मंथन के दौराान निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया था। विष की तपन और जलन को शांत करने के लिए इसी दिन देवताओं ने जल से भगवान शिव का अभिषेक किया था। आज शुक्रवार 2 अगस्त के दिन सावन माह की शिवरात्रि है। सावन शिवरात्रि शिव भक्तों द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। आज के दिन सावन शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा। शनिवार को शिवरात्रि के व्रत की समाप्ति की जाएगी। शिव भक्तों के लिए सावन शिवरात्रि का महत्व महाशिवरात्रि के बराबर ही होता है।
सावन शिवरात्रि की पूजन विधि
सावन शिवरात्रि पर मिट्टी के शिवलिंग बनाकर पूजा करें। सुबह सबसे पहले स्नान कर ले। स्नान करने के बाद सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। जल, दही और दूध से शिवलिंग का जलाभिशषेक करें। फिर गन्ने के रस की धारा शिवलिंग पर अर्पित करें। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। शिवलिंग पर भांग धतूरा और बेलपत्र चढाएं। भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं। भगवान शिव को खीर अति प्रिय होता है।शिव चलीसा का पाठ करें। अगले 2 दिनों तक मिट्टी के शिवलिंग पर जल प्रवाहित करें।