भोपाल। राष्ट्रपति भवन को राष्ट्र का प्रतीक और देश के राष्ट्रपति का निवास और कार्यालय माना जाता है। यह देश के नागरिकों की अमूल्य विरासत है। अब राष्ट्रपति भवन के दो अहम् हॉलों के नामों का परिवर्तन कर दिया गया है। जिसमे अशोक हॉल और
दरबार हॉल का नामों को बदल दिया गया है। अब दरबार हॉल का नाम बदलकर ‘गणतंत्र मंडप’ और अशोक हॉल का नाम बदलकर ‘अशोक मंडप’ कर दिया गया है।
हॉल का मुख्य कार्य
दरबार हॉल का मुख्य कार्य बड़े – बड़े आयोजनों को संचालित कराना होता है। यह हॉल राष्ट्रीय पुरस्कारों की प्रस्तुति जैसे महत्वपूर्ण समारोहों का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। ‘दरबार’ शब्द से हमें राजा-महाराजाओं, भारतीय शासकों और मुगलों के दरबार और आयोजित होने वाली सभाओं का आभास मिलता है। सरकार ने तर्क दिया है कि “भारत को आजादी मिलने के बाद इसकी प्रासंगिकता खत्म हो गई है। ‘गणतंत्र’ की अवधारणा प्राचीन काल से ही देशवासियों के दिल में गहराई से निहित है, इसलिए दरबार हॉल का नाम परिवर्तन करके ‘गणतंत्र मंडप’ किया गया है. बड़े-बड़े आयोजनों के लिए इस स्थल का नाम उपयुक्त है।”
अशोक हॉल सम्राट अशोक को संदर्भित
आपको बता दें कि अशोक हॉल मुख्यतः एक वॉलरूम है। ‘अशोक’ शब्द सम्राट अशोक को संदर्भित करता है जिसे एकता और शांतिपूर्ण सह-आस्तित्व का प्रतीक माना जाता है। साथ ही यह शब्द अशोक वृक्ष को भी संदर्भित करता है। जिसका महत्व भारतीय धार्मिक परम्परा के साथ ही कला और संस्कृति में भी माना जाता है। ‘अशोक हॉल’ का नाम परिवर्तित करके ‘अशोक मंडप’ करने से भाषा में समानता और एकरूपता आती है और ‘अशोक’ शब्द से सम्बंधित महत्वपूर्ण मूल्यों को बनाए रखते हुए मुगलों के निशान भी मिट जाते हैं।