भोपाल। ब्रिटिश काल से टले आ रहे आईपीसी और सीआरपीसी कानून अब भारत के इतिहास में दर्ज होंगे। 1 जुलाई यानि आज से 3 नए आपराधिक कानून लागू होने जा रहे है। अब से नए मुकदमें और प्रक्रिया भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत दर्ज किए जाएंगे। हत्या और धोखाधड़ी समेत कई संगीन अपराधों की धाराओं के नंबरों में पर्रिवर्तन किया गया है। पुलिस वकील और जजों को इन नए कानूनों को लेकर अब नए सिरे से तैयारी करनी होगी। यह कानून पुलिस की शक्ति को बढ़ाने वाले हैं।
हिंदी भाषा में कानूनों के नाम पर जताई आपत्ति
बता दें कि नए कानूनों को लेकर 22 हाईकोर्ट, 142 सांसद, 270 विधायकों और देश की आम जनता से विचार किया गया था। 4 साल बाद इस पर चर्चा हुई और 158 बैठकें की गई। जिसके बाद इन अपराधिक कानूनों को पास किया गया। कर्नाटका राज्य ने हिंदी भाषा में कानूनों का नाम लिखे जाने को लेकर आपत्ति जताई थी। जिसे अंग्रेजी भाषा में लिखे जाने की मांग की थी। ममता बैनर्जी ने अपने पत्र में कहा था कि जब यह कानून पास किए गए तब संसद में 146 सांसदों को निलंबित किया गया था। तब इन अपराधिक कानूनों पर पूर्ण रूप से चर्चा नहीं हो पाई थी। अब इन कानूनों की नए सिरे से समीक्षा करने की जरुरत है।
ऑनलाइन एफआईआर दर्ज की जाएगी
भारतीय न्याय सहिंता के तहत अब 1 जुलाई से हत्या होने पर धारा 302 नहीं बल्कि नई धारा 103 के तहत केस दर्ज किया जाएगा। इसी तरह धोखाधड़ी होने पर धारा 420 को भी समाप्त करके धारा 318 के तहत शिकायत दर्ज की जाएगी। बहुत सारी नई धारा बनाए जाने के साथ ही कई पुरानी धाराओं को खत्म किया गया है। अपराध की एफआईआर ऑनलाइन दर्ज की जाएगी। अब थाने आने पर आधे घंटे में अंदर किसी भी शिकायत की सुनवाई होगी।