भोपाल। शिवराज सिंह चौहान 18 सालों से एमपी सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। इस बार भी भारतीय जनता पार्टी के जीतने के बाद उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं जताई जा रही थीं। लेकिन आख़िर में भारतीय जनता पार्टी ने मोहन यादव के हाथ में कमान सौंपी। मंत्रिमंडल में एक तरफ जहां अनुभव की भट्टी में पके प्रशासनिक अनुभव के धनी वरिष्ठ राजनेता हैं, वहीं दूसरी तरफ युवा जोश भी है। मोहन कैबिनेट में युवा और वरिष्ठ दोनो को शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल में युवा और वरिष्ठ नेता शामिल
एमपी में मंत्रिमंडल विस्तार पर शिवराज ने कहा था, एमपी का सौभाग्य है कि, अटल जी की जयंती पर नई सरकार आकार ले रही है। मंत्री मंडल में अनुभव की भट्टी में पके वरिष्ठ राजनेता और युवा जोश शामिल है। मंत्रिमंडल पूरी तरह संतुलित और क्षेत्रीय आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखा गया है। पीएम मोदी जी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री मोहन जी की अगुवाई में प्रदेश को सुशासन देगी नई सरकार। प्रदेश के विकास और जनता के कल्याण में कोई कसर नहीं छोड़ेगी सरकार।
शपथ से पहले ये बोले थे शिवराज
मुझे पूरा विश्वास है गुड गवर्नेंस डे पर जो सरकार आज पूर्णता के साथ आकार ले रही है, वो पीएम नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन और उनके नेतृत्व में और मुख्यमंत्री मोहन यादव जी के अगुवाई में अपने सभी साथियों के साथ एमपी को सुशासन देगी, एमपी को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी और जनता की संपूर्ण अपेक्षाओं को पूरा करेगी।
लाडली बहना का मास्टर स्ट्रोक
बता दें, एमपी बीजेपी की जीत के पीछे लाडली बहना का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। लाडली बहना योजना के जरिए हर महीने बहनों के खातो मे 1250 रुपए डाले जाएंगे । शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहनो के खाते मे हर महीने राशि देने की बात कही थी। हालांकि बीजेपी की जीत के बाद शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी ने किनारे लगा दिया और मोहन यादव को नया सीएम बनाया। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को मोहन कैबिनेट में भी जगह नहीं मिली जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान का दर्द छलक गया उन्होंन कहा, मेरी भूमिका एक कार्यकर्ता के तौर पर रहेगी। बहुत संतुलित मंत्रीमंडल है।