भोपाल. मध्यप्रदेश में अगले महीने चुनाव का ऐलान हो सकता है. ऐसे में बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व मध्य प्रदेश चुनाव को काफी गंभीरता से ले रहा है. टिकट वितरण में भी हर छोटी-बड़ी बातों को ध्यान में रखा जा रहा है. केंद्रीय नेतृत्व की इसी पारखी नजरों के कारण सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला का विधानसभा टिकट ही कट गया है. उनके स्थान पर सांसद रिति पाठक को टिकट दिया गया है. दरअसल कुछ महीनों में सीधी जिले में पेशाब कांड हुआ था, जिसकी गूंज पूरे देश में गूंजी थी.
रीति पाठक को मिला मौका
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा अब तक प्रदेश भर में 79 विधानसभा प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. इस सूची में अब राष्ट्रीय महासचिव, तीन केंद्रीय मंत्री और सांसदों को भी मौका दिया गया है. इस सूची में कई मौजूदा विधायकों को भी मौका नहीं मिल सका है. इसकी मुख्य वजह ऐसे विधायकों के कार्यकाल में हुई कुछ सामाजिक गड़बड़ियां हैं, जिनकी वजह से इनके टिकट काटे गए हैं. ऐसे ही विधायक है सीधी से केदारनाथ शुक्ला. बीजेपी ने सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला के स्थान पर रीति पाठक को मौका दिया है.
जमकर वायरल हुआ था सीधी पेशाब कांड
आपको याद हो कि अब से कुछ महीने पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हुआ था. इस वीडियो में विधायक केदारनाथ शुक्ला का विधायक प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला एक आदिवासी युवक पर पेशाब करता हुआ नजर आ रहा था. यह पेशाब कांड पूरे देश में काफी उछला था. प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों के नेताओं ने इस मामले को ट्वीट कर उछाला था तो वहीं कांग्रेस ने भी इसे विशेष मुद्दा बनाया था. मामले को साधने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासी युवक को सीएम हाऊस बुलाया, जहां उसकी आवभगत के साथ ही पैर तक धुलाए गए थे.
केदारनाथ- पार्टी को किसी ने मिसगाइड किया
वहीं टिकट कटने पर नाराज विधायक केदारनाथ शुक्ला ने पहली बार सार्वजनिक रूप से बयान दिया है, जिसमें उन्होंने चौंका दिया है. उन्होंने कहा कि सबसे बात करने के बाद ही निर्णय लूंगा. पार्टी नेतृत्व को किसी ने मिसगाइड किया है, मैंने इस बात की जांच की मांग की है, यह क्यों हुआ? किसके प्रस्ताव में हुआ. इस बात की पार्टी जांच करें, अगर पार्टी जांच करेंगी तो पार्टी को अपनी गलती का एहसास होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि जिसे प्रत्याशी बनाया गया है. वो 10 साल से सांसद रही हैं. हमें वो बता दें कि जिस गांव में वो हैं वहां उन्होंने निर्माण कार्य मे 100 रुपये भी खर्च किया हो. किसी भी कार्यकर्त्ता की मदद की हो, अब पार्टी के नाम पर चुनाव लड़ना अलग बात है. अभी तक केवल वो मोदी जी की लोकप्रियता की सवारी करती रही हैं. फिलहाल विधानसभा चुनाव में सारी बाते दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.
विरोध में पहला इस्तीफा सीधी से
वहीं इस्तीफे को लेकर बात की जाए तो मध्यप्रदेश में बीजेपी ने अपनी दूसरी सूची जारी की और इसके विरोध में पहला इस्तीफा सीधी से हुआ था. इस लिस्ट ने जितना दावेदारों को चौंकाया, उससे कहीं अधिक राजनीतिक जानकार चौंकें, क्योंकि दूसरी सूची में 3 केंद्रीय मंत्री समेत 7 सांसद और एक राष्ट्रीय महासचिव शामिल हैं. वहीं दूसरी सूची जारी होने के घंटा भर बाद ही सबसे पहला इस्तीफा सीधी से ही आया था. सीधी बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष एवं प्रदेश कार्य समिति के सदस्य राजेश मिश्रा ने टिकट बंटवारे में पार्टी द्वारा नजर अंदाज किए जाने पर अपनी प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.