Monday, September 16, 2024

MP Weather: ओंकारेश्वर में बारिश के बाद हाहाकार, बाजारों का सामान चढ़ा नर्मदा को भेंट

भोपाल. मध्यप्रदेश में पिछले 4 दिनों से जारी बारिश ने हाहाकार मचा दिया है. लगातार हो रही बारिश के कारण कई शहरों में जलभराव के हालात बने हुये थे. तो वहीं तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में बारिश ने अपना सबसे रौद्र रूप दिखाया है. यहां केवल नर्मदा घाट और उनके किनारे की दुकाने तो डूंबी ही इसके साथ ही यहां मुख्य बाजार में भी पानी पहुंच गया. जिसके कारण भारी नुकसान हुआ है. अब स्थानीय लोगों का आरोप है कि जान बूझकर ये पानी रोका गया है, जिसके कारण ये तबाही हुई है.

प्रशासन के प्रति लोगों में गुस्सा

दरअसल बारिश थमने के बाद नर्मदा तो शांत हो चुकी है. लेकिन अब यहां के स्थानीय निवासियों की आंखों में काफी गुस्सा है और आंसू हैं. लोगों का प्रशासन पर खुला आरोप है कि प्रशासन की हठधर्मिता और गैर ज़िम्मेदाराना बर्ताव के कारण ही ये त्रासदी हुई है. लोगों का कहना है कि ‘यहां डेम को सिर्फ इसलिए भरते चले गए कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के लिए ओंकार पर्वत पर वाहन से जाने के लिए बनायीं गई पुलिया पर पानी न आये.

बाजारों का सामान मां नर्मदा को चढ़ा भेंट

आपको बता दें कि ओम्कारेश्वर में पिछले दिनों नर्मदा का रौद्र रूप देखने को मिला है. यहां बाढ़ ने खासा तांडव मचाया है. न सिर्फ़ घाट डूबे, घाट की दुकाने डूबी, नावें ही नहीं बल्कि बहुत ऊंचाई पर ओम्कारेश्वर मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार के पहले का पूरा बाज़ार डूब गया. दुकानों में पानी भर गया, यहां जो कुछ भी बिक्री के लिए रखा था, वो सब नर्मदा को भेंट चढ़ गया. ओंकारेश्वर में जिन दुकानों में भगवान की मूर्तियां, पूजन सामग्री, पीतल या अन्य धातू की मूर्तियां, अन्य कीमती सामग्री या आर्टिफिशियल ज्वेलरी सजी रहती थी वे सब आज खाली दिख रही है, बाज़ार में सन्नाटा पसरा हुआ है. लोगों के चेहरे पर दुःख से ज़्यादा गुस्सा दिख रहा है, लेकिन इसे पढ़ने-सुनने वाला कोई नहीं है. अब जब कुछ सरकारी अधिकारी कर्मचारी नुकसानी के सर्वे के नाम पर आ रहे है तो उन पर लोगों का गुस्सा फूट रहा है.

प्रशासन की लापरवाही से आई बाढ़

स्थानीय लोगों का कहना है कि जो भी बाढ़ आई वह प्रशासन की लापरवाही और नाकामी के कारण आई है. पिछले दिनों शंकराचार्य जी की मूर्ति के अनावरण के लिए नर्मदा नदी के घाट पर रपटा बनाया गया था. उसे ज्यों का त्यों रखने के लिए पानी को स्टोर किया गया. एकदम से जब पीछे पानी का प्रेशर बढ़ा तो अचानक सारा पानी छोड़ दिया जिससे बाढ़ आ गई. लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए ओम्कारेश्वर की जनता को दांव पर लगा दिया.

नुकसान का होगा सर्वे

इधर प्रशासन का कहना है कि इतनी तेज बारिश के चलते ओम्कारेश्वर में जो परिस्थितियां निर्मित हुई, उसका प्रमुख कारण यह था कि ओम्कारेश्वर डेम के अपस्ट्रीम में जो केचमेंट एरिया है. वहां बहुत पानी बरसा साथ ही जो इंदिरा सागर डेम से 44 हजार क्यूमेक्स पानी छोड़ा गया. इससे ओम्कारेश्वर नदी के किनारे जो स्थान थे, वहां दस फीट तक पानी भर गया. बहुत से स्थान जलमग्न हो गए थे. प्रशासन और पुलिस की पूरी टीम मौजूद थी. मंदिर और नगर पंचायत के एनाउंसमेंट सिस्टम द्वारा लगातार जनता को पानी बढ़ने की सूचना दी जाती रही थी. ओंकारेश्वर डेम के बिल्कुल नीचे है इसलिए यहां तो समय कम मिल पाता है. फिर भी प्रशासन की मुस्तैदी से कोई जनहानि नहीं हुई है. जिन दुकानों में नुकसानी हुई उनके सर्वे कराये जा रहे हैं.

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