भोपाल। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधा है. उन्होंने शिवपुरी के नेता राकेश गुप्ता के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के लिए सिंधिया को दोषी ठहराया और कहा कि सिंधिया उन्हें भड़काकर ले गए थे. दिग्विजय सिंह ने कहा कि ’बात यह है कि यह मूल रूप से कांग्रेसी थे. इनके पिता सावल दास जी गुप्ता हमारे जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे. सब महसूस कर रहे हैं कि सिंधिया जी का वह असर भाजपा में नहीं है जो कांग्रेस में हुआ करता था तब वापस आ रहे है. बता दें कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह मंडला में आयोजित ‘भारत जोड़ो आन्दोलन’ के आंचलिक सम्मलेन में शामिल हुए.
पोस्टर वॉर को पॉलिटिक्स करार दिया
साथ ही मध्यप्रदेश में चल रही पोस्टर पॉलीटिक्स को दिग्विजय सिंह ने घटिया बताया है. भोपाल में चल रहे पोस्टर वॉर पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि बड़ी गंदी हरकत है हम इसे पसंद नहीं करते. वहीं भारत जोड़ो यात्रा पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि ‘हमारी मंशा एक ही है नफरत छोड़ो भारत जोड़ो। पूरे देश में अलग-अलग जातियां हैं, संप्रदाय हैं, इन सब में हमें प्रेम और सद्भाव कायम रखना है. इसलिए भारत जोड़ो अभियान जो राहुल गांधी ने चलाया और 4000 किलोमीटर चले इसे गांव-गांव ले जाने की हमारी मंशा है.’
पूर्व पीएम नेहरू को सराहा
वहीं दिग्विजय सिंह ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के POK को भारत में शामिल करने के बयान पर भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि ‘हमें खुशी है कि अगर हो जाए तो बहुत अच्छा रहेगा, क्योंकि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तो पूरे कश्मीर को ही शामिल किया था.’ दिग्विजय सिंह ने जबलपुर रोड के लिए नितिन गडकरी के माफ़ी मांगने के बाद भी सड़क सही नहीं होने पर भी बात की. उन्होंने कहा कि ‘माफी तो ठीक है. माफ कर देंगे लेकिन उस ठेकेदार को तो पकड़ो जिस ठेकेदार ने पैसे खा कर काम नहीं किया, उससे वसूली करो. कौन ठेकेदार था, कौन लोक निर्माण मंत्री था?’
आदिवासी समुदाय को भी साधा
दिग्विजय सिंह ने भाजपा को आदिवासी विरोधी सरकार बताते हुए हमला बोला. उन्होंने कहा कि ‘मध्य प्रदेश में 18 साल में आदिवासियों के हित का कोई ऐसा काम नहीं किया। पेसा कानून जो कि 1996 में लागू हो गया था. हमने ग्राम स्वराज की कल्पना से न्यायालय बना दिए थे. ग्रामसभा का कानून बना दिया था लेकिन पूरे तरीके से उसका पालन नहीं हुआ. हमने मछली के ठेके ठेकेदारों से छीन कर आदिवासियों को दे दिए थे, लेकिन वापस ठेकेदारों को दे दिए गए. पूरे वन अधिकार आदिवासियों को दे दिए थे. वन समितियां बनी थी. मौका आया है मैं सभी आदिवासी भाइयों और बहनों से प्रार्थना करता हूं कि वह कांग्रेस के साथ आए.’